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Gujarat Elections 2022: कमजोर कांग्रेस, पांव जमाने को बेचैन AAP, चुनौतीहीन राज्य, गुजरात में BJP के लिए है बल्ले-बल्ले!

सौराष्ट्र, कच्छ और दक्षिण गुजरात में 89 सीटों पर वोटिंग हो रही है. इसुदन गढ़वी, हर्ष संघवी और इंद्रनील राज्यगुरु जैसे दिग्गजों की किस्मत दांव पर है.

Gujarat Elections 2022: कमजोर कांग्रेस, पांव जमाने को बेचैन AAP, चुनौतीहीन राज्य, गुजरात में BJP के लिए है बल्ले-बल्ले!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. 

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डीएनए हिंदी: गुजरात (Gujarat Elections 2022) में विधानसभा चुनावों के तहत पहले चरण की वोटिंग हो रही है. राज्य में 27 साल से भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता में है. बीजेपी की पूरी कोशिश है कि राज्य में इस बार भी सत्ता में पार्टी बनी रहे. सौराष्ट्र, कच्छ और दक्षिण गुजरात में कुल 89 विधानसभा सीटें आती हैं. इन सीटों पर कुल वोटरों की संख्या करीब 2.39 करोड़ है. इन्हें ही तय करना है कि राज्य की कमान किसे मिलने जा रही है.

इन 89 विधानसभा सीटों पर बीजेपी के लिए सियासी सफर आसान नहीं है. बीजेपी 2017 के विधानसभा चुनावों में सौराष्ट्र में अपनी खोई हुई सियासी जमीन तलाश रही है. इन सीटों पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने जमकर चुनाव प्रचार किया है. यहीं बीजेपी को सबसे ज्यादा चुनौती मिलने वाली है.

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सूरत के चुनावी मुकाबले में AAP तीसरा फैक्टर बनने की पुरजोर कोशिश कर रही है. सूरत की कुल 11 विधानसभा सीटों पर चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तक पार्टियों ने युद्धस्तर पर चुनाव प्रचार किया है. आम आदमी पार्टी ने इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की भरसक कोशिश की है.

साल 2017 में कैसा था इन सीटों पर मुकाबला?

विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान 89 विधानसभा सीटों में 48 सीटों पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस ने 38 सीटें जीती थीं. 2 सीटें भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) को मिली थीं. तब BTP का कांग्रेस के साथ गठजोड़ था. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने एक सीट पर जीत हासिल की थी.

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सौराष्ट्र की 48 सीटों पर बड़ी आबादी कृषक है. बीजेपी के लिए 19 विधानसभा क्षेत्रों में राह सबसे मुश्किल है. कांग्रेस का वोट प्रतिशत इन सीटों पर बढ़ा था लेकिन जीत बीजेपी की हुई थी. अगर कांग्रेस का वोट प्रतिशत और बढ़ गया तो बीजेपी के लिए हालात खराब हो सकते हैं.

खराब प्रदर्शन को सुधारने में बीजेपी ने लगाई जी-जान

2017 के मुकाबले में कांग्रेस की 13 सीटें इस इलाके में बढ़ गईं थीं. बीजेपी की 11 सीटें कम हो गईं थीं. साल 1995 में सरकार बनने के बाद यह बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन था. बीते 5 साल से कांग्रेस को इस इलाके में झटके ही झटके लग रहे हैं. सौराष्ट्र के 10 कांग्रेस विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. कुछ बाहर से बीजेपी को समर्थन दे रहे हैं. 

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जसदण विधानसभा सीट से कुंवरजी बावलिया, ध्रंगध्रा से पुरुषोत्तम सबरिया, मानावदार से जवाहर चावड़ा, जामनगर ग्रामीण से वल्लभ धाराविया, गढ़ड़ा विधानसभा सीट से प्रवीण मारू, धारी सीट से जेवी काकड़िया, लिबंडी से सोमा पटेल, मोरबी से बृजेश मेरजा, तलाला से भगवान बराड़, विसावदर से हर्षद चुनवा लड़ रहे हैं. सबरिया, धाराविया, मारू, पटेल और मेरजा को छोड़कर अन्य इस बार अपनी-अपनी सीटों से बीजेपी उम्मीदवार हैं.
 
पहले चुनाव में कौन निभाएगा निर्णायक भूमिका?

पहले चरण के विधानसभा चुनावों के दौरान कई पाटीदार और आदिवासी बहुल सीटें हैं. बीजेपी का मकसद बीजेपी अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 27 विधानसभा क्षेत्रों में से अधिकांश को जीतना है. पहले चरण में, 7 निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. 17 सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं.

किन दिग्गज उम्मीदवारों की लगी है दांव पर साख?

सौराष्ट्र क्षेत्र के द्वारका जिले खंभालिया सीट से आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार ईसूदान गढ़वी चुनाव लड़ रहे हैं. सूरत के कटारगाम विधानसभा सीट से AAP के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया हैं. जामनगर (उत्तर) सीट से क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा उतरी हैं.

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करंज सीट से AAP के महासचिव मनोज सोरठिया की सीट पर भी वोटिंग हो रही है. सूरत के वराछा रोड से पाटीदार समाज के नेता अल्पेश कथीरिया की किस्मत का भी फैसला होने वाला है. इसके अलावा पूर्व मंत्री पुरुषोत्तम, छह बार से विधायक कुंवरजी बावलिया, मोरबी के 'नायक' कांतिलाल अमृतिया की किस्मत आज EVM में बंद हो जाएगी. देखने वाली बात यह है कि इस चुनाव में किसे जीत हासिल होती है.


क्यों बीजेपी के सामने कम हैं चुनौतियां

आम आदमी पार्टी गुजरात में पांव जमाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस का अनमने ढंग से चुनाव लड़ना इस लड़ाई को बीजेपी के लिए आसान बना रहा है. सभी पार्टियां मिलकर बीजेपी से लड़ रही हैं. कांग्रेस पहले से कमजोर थी अब AAP के उतरने से और कमजोर होगी. यही वजह है कि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार का चुनाव बीजेपी के लिए बेहद आसान है.

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