डीएनए हिंदी: क्या कभी आपने सोचा है कि आने वाले समय में दिमागी बीमारी का इलाज डॉक्टर नहीं रोबोट्स करेंगे वो भी इंसान के दिमाग के अंदर जाकर. सुनने में यह बेशक अजीब लगे लेकिन अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित बायोनॉट लैब्स जल्द ही दिमागी बीमारियों के इलाज के लिए शरीर में माइक्रो रोबोट्स उतारेगा. कंपनी के मुताबिक, रिसर्च अपने फाइनल स्टेज पर है और आने वाले अगले दो सालों में इस तकनीक का क्लिनिकल ट्रायल किया जा सकता है.
ए बायोनॉट के मुताबिक, ये एक नई ट्रीटमेंट तकनीक है जो गंभीर मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए खासा मददगर साबित होगी. इस तकनीक के ज़रिए इंसान के दिमाग में इंजेक्शन की मदद से माइक्रोरोबोट्स को भेजा जाएगा. ये माइक्रोरोबोट्स दिमाग के अंदर जाकर बीमारी की जांच करेंगे और इलाज करने के फिक्स्ड तरीके से उसपर काम करेंगे.
पढ़ें- Asthma : 90% मरीज़ों को नहीं मिल पाता है सही इलाज़, मरने वालों में 40% भारतीय
कैसे करेंगे माइक्रोरोबोट्स आपके दिमाग का इलाज़ ?
बायोनॉट लैब्स के CEO माइकल शपिगेलमाकर के मुताबिक, माइक्रोरोबोट्स बुलेट के आकार के बहुत छोटे मेटल सिलेंडर होते हैं जो पहले से प्रोग्राम किए गए रास्ते को फॉलो करते है. ये रोबोट्स इतने छोटे हैं कि इन्हें इंजेक्शन की मदद से आसानी से इंसान के शरीर में भेजा जा सकता है. फिर मैग्नेट की मदद से इन्हें दिमाग की ओर गाइड किया जा सकता है.रोबोट्स को मेग्नेटिक एनर्जी का इस्तेमाल कर दिमाग में भेजा जाता है.
पढ़ें- लगता है Heart Attack से डर? जानें Cardiophobia के लक्षण, वजह और इलाज
वैज्ञानिकों का मानना है कि मेग्नेटिक एनर्जी अल्ट्रासोनिक और ऑप्टिकल एनर्जी के मुकाबले ज़्यादा सेफ है. ये शरीर के लिए नुकसानदायक नहीं होती है. इसलिए इस रिसर्च में मेग्नेटिक एनर्जी ज़्यादा कारगर साबित हुई है. शरीर के अंदर भेजे गए रोबोट को बाहर से मेग्नेटिक कॉइल से कनेक्ट करके मरीज के सिर पर लगाकर इसे एक कंप्यूटर से लिंक किया जाता है. दोनों साइड मेग्नेटिक इफ़ेक्ट की वजह से रोबोट्स को सही दिशा में ले जाया जाता है और दिमाग के प्रभावित हिस्से को ठीक किया जा सकता है. इस पूरे डिवाइस को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है. वही ये MRI स्कैन के मुकाबले 10 से 100 गुना कम बिजली इस्तेमाल करता है.
जानवरों पर सफल रहा है परीक्षण
बायोनॉट लैब्स इस तकनीक का इस्तेमाल बड़े जानवरों पर कर चुका है और इसके काफी बेहतर रिजल्ट्स आए है. ट्रायल के नतीजे बताते हैं कि तकनीक इंसानों के लिए भी सुरक्षित है. बायोनॉट लैब्स को पिछले साल अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से अप्रूवल मिल चुका है. आने वाले दो सालो में समय में ये लैब जल्द ही ह्यूमन ट्रायल भी शुरू करेगी .
क्या हैं माइक्रोरोबोट्स? कैसे करते हैं ये आपके शरीर का इलाज
एक दिन एक गंभीर बीमारी के साथ अस्पताल का दौरा सर्जरी या गोलियों की बोतलों से नहीं बल्कि मेडिकल माइक्रोरोबोट्स के इंजेक्शन के साथ समाप्त हो सकता है. आप चौकिए मत! माइक्रोरोबोट्स की मदद से आने वाले समय में ये संभव है. सीधे शब्दों कहें तो माइक्रोरोबोट्स केवल सूक्ष्म पैमाने की स्वचालित मशीनें हैं जिन्हें अलग -अलग तरह से सेलेक्टिव और छोटी से छोटी जगह पर इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया है.
पढ़ें- ये है दुनिया की सबसे महंगी Medicine, किस बीमारी के इलाज में होती है इस्तेमाल?
अपने छोटे आकार की वजह से वह शरीर के अंदर जा कर छोटी-छोटी जगह पर आसानी से पहुंच सकते हैं. जो कोई पारंपरिक रोबोट नहीं कर सकता है. उदाहरण के लिए, माइक्रोरोबोट्स ब्लॉक्ड आर्टरीज़ के अंदर जा कर सफाई कर सकते हैं. हाइली टार्गेटेड टिश्यू बायोप्सी भी कर सकते है. साथ ही ये माइक्रोरोबोट्स शरीर के अंदर जा कर कैंसर के ट्यूमर का इलाज तक कर सकते हैं.अमेरिका के साथ-साथ दुनिया के कई देशों के माइक्रो रोबोट्स पर रिसर्च जारी है. माइक्रोरोबोट्स आने वाले दिनों में दिमाग में कैंसर ट्यूमर्स, एपिलेप्सी, पार्किंसंस डिजीज और स्ट्रोक का इलाज करने के लिए भी कारगर साबित हो सकते है.
गूगल पर हमारे पेज को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें. हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.