Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Conjoined Twins: क्या दो सिर और तीन पैर वाले जन्मे बच्चों को कोई बीमारी है? क्या है इसका इलाज

दो सिर, तीन पैर वाले बच्चे (Partial Twinning) सामान्य नहीं होते हैं, डॉक्टर्स की मानें तो इनकी जिंदगी बहुत कम होती है. किन कारणों की वजह से होता है ऐसा और क्या इसका इलाज है संभव

Latest News
Conjoined Twins: क्या दो सिर और तीन पैर वाले जन्मे बच्चों को कोई बीमारी है? क्या है इसका इलाज
FacebookTwitterWhatsappLinkedin

TRENDING NOW

डीएनए हिंदी: आपने कई बार सुना होगा कि अस्पताल में दो सिर और तीन पैर या फिर कभी तीन हाथ वाले बच्चे पैदा होते हैं. हाल ही में एमपी के रतलाम (Ratlam) में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां एक बच्ची के दो सिर और तीन पैर हैं. (Two Heads three legs) डॉक्टर्स कहते हैं कि ऐसे बच्चों के जिंदा रहने के चांसेज बहुत कम होते हैं लेकिन गांव में इसे बहुत भाग्यशाली समझा जाता है, वे कहते हैं कि जिस बच्चे के दो सिर होते हैं वह बहुत ही लकी होते हैं. 

क्या है यह बीमारी (What is Partial Twinning Child)

हालांकि मेडिकल साइंस में इसे डाइसिफेलिक पैरापेगस कहते हैं और ऐसी स्थिति को पार्शियल ट्विनिंग (Partial Twinning) भी कहते हैं, आसान भाषा में समझें तो इसे आंशिक जुड़वापन (Twins)  कहते हैं. जब मां की कोख में जुड़वा बच्‍चे विकसित होते-होते रह जाएं तो ऐसी स्थिति बनती है. शुरुआती हफ्तों के विकास के दौरान ही ऐसा हो सकता है. ऐसे मामलों में पीड़ि‍त बच्‍चे का लम्‍बे समय तक जिंदा रहना मुश्किल होता है. जन्‍म लेने वाले 50 हजार से 1 लाख मामलों में से कहीं 1 में ऐसा होता है. इस तरह जुड़े हुए पैदा होने वाले बच्‍चों में से 11 फीसदी मामले डाइसिफेलिक पैरापेगस के होते हैं. 

यह भी पढ़ें- इन कारणों से होता है यूटीआई, जानिए कैसे करें बचाव 

क्या कहते हैं डॉक्टर्स

विशेषज्ञों का कहना है कि बच्‍चों में जन्‍मजात विकृति की एक बड़ी वजह जीन में म्‍यूटेशन होना है. विदेशों में इसपर कई शोध हुए हैं. डॉक्टर्स कहते हैं कि इसके पीछे आनुवांशिक वजह, संक्रमण, रेडिएशन और दवा के साइडइफेक्‍ट हो सकते हैं. 

क्या इसका इलाज संभव है और कैसे लगाएं पता (How to diagnose and treatment)

दरअसल, प्रेग्रेंसी के शुरुआती दौर में इसका पता लगाना संभव है. सोनोग्राफी के टेस्ट में ही पता चल जाता है कि बच्चे के विकास में कुछ दोष है. शुरुआत के 10-15 हफ्ते के बीच इसका पता लगाया जा सकता है. डॉक्टर्स कहते हैं कि बच्चों के लिवर, किडनी, दिल में विकृतियां होती है, सबसे ज्यादा दिल से संबंधित समस्या होती है. कई बार बच्चों में रीढ़ की हड्डी का विकास नहीं होता है. 

यह भी पढ़ें- क्या है वेयरवोल्फ सिंड्रोम, जानिए किन कारणों से चेहरा बन जाता है भालू जैसा

इन बातों का रखें खयाल

विशेषज्ञ की सलाह से जरूरी विटामिंस और फोलिक एसिड की दवाएं लें, इनकी कमी न होने दें.

अगर आप गर्भवती हो गई हैं कोई भी जरूरी जांच मिस न करें, खासकर सोनोग्राफी.

अल्‍कोहल और सिगरेट से दूरी बनाना ही अच्‍छा है, भले ही प्रेग्‍नेंट हों या नहीं. इसका कई तरह से बच्‍चे पर असर पड़ सकता है.

बिना विशेषज्ञ की सलाह से कोई भी दवा न लें और नशीली चीजों से दूर रहें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement