साल 1707 में औरंगजेब की मौत के बाद मुगल सल्तनत कमजोर पड़ गई थी. मुगलों के बीच गद्दी पर बैठने को लेकर जंग छिड़ गई.
इसका फायदा उठाकर स्थानीय नवाब, राजा और जमींदारों ने अपने-अपने क्षेत्रों को नियंत्रण में ले लिया. इस दौरान मराठा, राजपूत, जाट, रोहिल्ला एक शक्ति बनकर उभरे.
इन सबके बीच ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भी खुद को मजबूत बनाने में जुटी हुई थी. उन्होंने नई तकनीकों और फैक्ट्रियां खड़ी करने में निवेश करना शुरू कर दिया था.
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने ग्रेट ब्रिटेन से आर्मी के लोगों को खुद से जुड़ने के लिए कहा. उन्होंने स्थानीय भारतीयों को भी आर्मी की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी.
स्थानीय भारतीय पैसों के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम करना शुरू कर दिया था और वे ईस्ट इंडिया कंपनी की आर्मी का हिस्सा बन गए थे.
इन्हें 'Sepoy' के नाम से बुलाया जाता था. Sepoy शब्द पर्सियन शब्द सिपाही से बना है जिसका अंग्रेजी में मतलब होता है 'सोल्जर'.
सिपाहियों को यूरोपीय तरीके से प्रशिक्षित और सशस्त्र किया गया था और उन्हें यूरोपीय अधिकारियों के नेतृत्व में बटालियनों में संगठित किया गया था.
साल 1885 तक इन इकाइयों को 'मूल सिपाही' कहा जाता था लेकिन बाद में इसमें से मूल शब्द को हटा लिया गया था.