Oct 9, 2024, 01:49 PM IST

कैसे British Army का हिस्सा बनी गोरखा रेजिमेंट?

Jaya Pandey

गोरखा रेजिमेंट को बहादुरी का पर्याय माना जाता है. भारत ही नहीं बल्कि गोरखा रेजिमेंट ब्रिटिश आर्मी का भी हिस्सा है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ऐसा हुआ कैसे?

साल 1814 में अंग्रेजों और गोरखाओं के बीच निर्णायक युद्ध छिड़ गया था जो 1816 तक चला. यह युद्ध उत्तराखंड के नालापानी में लड़ा गया था. इस मुकाबले में गोरखा सैनिकों ने अंग्रेजों को नाको चने चबवा दिए थे. 

लेकिन आखिरकार जीत संख्याबल में अधिक और आधुनिक हथियारों से लैस अंग्रेजी सैनिकों की हुई. लेकिन गोरखाओं के साहस को देखकर अंग्रेजों की आंखें खुली की खुली रह गईं. 

ब्रिटिश जनरल सर डेविड ऑक्टरलोनी ने उन्हें अंग्रेजी सेना में शामिल होने की पेशकश की. इस तरह से गोरखा रेजिमेंट ब्रिटिश ईस्ट इंडिया आर्मी का हिस्सा बनी और यहीं से शुरू हुआ एक गौरवशाली रेजिमेंट का कारवां.

भारत के स्वतंत्र होने के बाद नवंबर 1947 में ट्रिटी ऑफ सुगौली को एक द्विपक्षीय संधि में बदल दिया गया जिसके अनुसार नेपाल के गोरखाओं को भारत के सेना में शामिल होने या यूके जाने का विकल्प दिया गया था.

गोरखा रेजिमेंट का बंटवारा किया गया. बंटवारे में 1, 3, 4, 5, 8, 9 गोरखा रायफल्स को भारतीय सेना में शामिल किया गया और 2,6,7,10 गोरखा रायफल्स को अंग्रजों ने अपने साथ ले जाने का फैसला किया.

लेकिन 7वे और10वे गोरखा रायफल्स में मौजूद सैनिकों ने बड़ी संख्या में अंग्रेजों के साथ जाने से मना कर दिया क्योंकि वे भारतीय फौज में शामिल होना चाहते थे. 

भारतीय सेना ने उन सैनिकों के लिए 11 गोरखा रायफल्स के नाम से नई बटालियन स्थापित करने का फैसला किया. 

गोरखा रेजिमेंट ने आगे चलकर कई जंगों में अपने साहस का प्रदर्शन किया और जीत हासिल करते हुए वीरता के कई मेडल अपने नाम किए.