भारतीय सेना की एक रेजिमेंट ऐसी भी है जिसकी बहादुरी की बातें सिर्फ इंडियन आर्मी ही नहीं करती बल्कि दूसरे देश की सेनाएं भी इनकी मिसाल देती हैं.
बहादुरी का पर्याय मानी जाने वाली इंडियन आर्मी की इस रेजिमेंट का नाम है गोरखा रेजिमेंट. गोरखा रेजिमेंट नेपाल की गोरखा जाति से संबंध रखती है.
भारत के प्रथम फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने गोरखा रेजिमेंट के बारे में कहा था, 'अगर कोई व्यक्ति कहता है कि वह मरने से नहीं डरता तो या तो वह झूठ बोलता है और या तो वह एक गोरखा है'.
आज से नहीं बल्कि दूसरे विश्व युद्ध के वक्त से गोरखा की बहादुरी और उनकी रणनीति से दुनियाभर की सेनाएं खौफ खाती हैं. एक बार इनसे दुश्मन की सेना का पाला पड़ जाए तो सिर्फ उनका शव ही वापस आता है.
गोरखा रेजिमेंट के सैनिक पूरी तरह से दुश्मन को नेस्तनाबूत कर देते हैं और अपने देश और सेना के लिए बेहद ईमानदार और बहादुर माने जाते हैं.
गोरखा नेपाल की एक जाति है जो स्वभाव से बेहद आक्रामक होती है. वह रक्षा करने के लिए अपनी जान तक गंवाने के लिए तैयार रहते हैं इसलिए इन्हें प्रोटेक्टर भी कहा जाता है.
गोरखाओं की बहादुरी से प्रभावित होकर ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स ने एक बार कहा था कि इन द वर्ल्ड देअर इज ओनली वन सिक्योर प्लेस देट्स वेन यू आर बिटविन गोरखास.