Oct 1, 2024, 10:03 PM IST

गली-गली चूड़ी बेचकर IAS बना ये दिव्यांग लड़का

Kuldeep Panwar

आपके पैर में पोलियो हो, गरीबी इतनी हो कि आप पिता के अंतिम संस्कार तक के लिए बस टिकट ना खरीद पाएं. ऐसे में आप क्या करेंगे?

कुछ लोग जिंदगी में असफलता का कारण ऐसी ही बाधाएं बताते हैं, लेकिन कुछ लोग इन बाधाओं को पार करके चैंपियन बनकर दिखाते हैं.

ऐसी ही कहानी IAS अफसर रमेश घोलप की है, जिन्हें बचपन में बाएं पैर मे पोलियो होने पर भी गली-गली घूमकर चूड़ियां बेचनी पड़ती थीं.

महाराष्ट्र के सोलापुर निवासी रमेश के पिता गोरख घोलप की साइकिल मरम्मत की छोटी सी दुकान थी, जो पिता के शराब के शौक में बिक गई.

रमेश के पिता बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो गए तो मां की मदद के लिए रमेश और उनका भाई गली-गली घूमकर चूड़ियां बेचने लगे.

पढ़ाई में तेजतर्रार रमेश को उनकी मां ने आगे पढ़ने के लिए उनके चाचा के पास दूसरे गांव भेज दिया. साल 2005 में पिता का निधन हो गया.

रमेश का परिवार इतना गरीब था कि पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए उनके पास बस का किराया देने के 2 रुपये भी नहीं थे.

पिता की मौत के समय रमेश कक्षा 12 में थे, जिसे उन्होंने 88.5% अंकों के साथ पास किया और टीचर बनने के लिए एक डिप्लोमा कोर्स किया.

गांव के ही निजी स्कूल में टीचर के तौर पर काम करते हुए रमेश ने BA की डिग्री हासिल की और फिर UPSC में भाग्य आजमाने की ठान ली.

छह महीने के लिए टीचिंग छोड़कर रमेश ने सेल्फ स्टडी की. साल 2010 में UPSC के पहले अटेंप्ट में वे सफलता हासिल नहीं कर पाए.

मां ने गांव वालों से उधार लेकर उन्हें बढ़िया तैयारी के लिए पुणे भेजा तो वे अफसर बनने तक वापस नहीं लौटने की कसम खाकर निकले.

पुणे में भी रमेश बिना कोचिंग के सेल्फ स्टडी से ही सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुटे रहे. आखिरकार 2012 में उन्होंने UPSC क्रैक कर लिया.

रमेश घोलप ने यूपीएससी-2011 में AIR 287वीं रैंक हासिल की. इसके बाद उन्हें दिव्यांग कोटा के तहत IAS अफसर के तौर पर चुना गया.

झारखंड कैडर के IAS अफसर रमेश घोलप ने जिस साल UPSC क्रैक किया था. उसी साल उन्होंनें महाराष्ट्र राज्य सेवा परीक्षा में भी टॉप किया था.