अंग्रेजों के शासन में कौन करता था तिरुपति मंदिर की देखभाल?
Jaya Pandey
प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल के इस्तेमाल की खबर के बाद से तिरुपति बालाजी मंदिर काफी चर्चा में आ गया है.
अभी इस मंदिर की जिम्मेदारी आंध्र प्रदेश सरकार संभालती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि अंग्रजों के शासन के दौरान इस मंदिर की देखभाल कौन करता था?
इतिहासकार मानते हैं कि तिरुपति मंदिर के निर्माण में चोल, होलसल और विजयनगर के सम्राटों ने आर्थिक मदद की थी.
तिरुपति मंदिर की वेबसाइट के मुताबिक इस मंदिर की मूर्तियों का निर्माण श्री कृष्णदेवरायलु ने 2 जनवरी 1517 ई में किया था और तब से इस मंडप का नाम कृष्णदेवरायलु पड़ गया.
जब देश पर ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था तब साल 1843 में अंग्रेजों ने हाथीरामजी मठ के महंतों को तिरुपति मंदिर के प्रशासन की जिम्मेदारी दी थी और उनकी 6 पीढ़ियों ने 1933 तक यह जिम्मेदारी निभाई.
इसके बाद तिरुपति मंदिर का प्रबंधन मद्रास सरकार ने ले लिया और इसके देखरेख की जिम्मेदारी तिरुमाला तिरुपति समिति को दी.
बाद में जब आंध्र प्रदेश का बंटवारा हुआ तो इस मंदिर की जिम्मेदारी आंध्र प्रदेश के धर्मार्थ और हिंदू धार्मिक संस्थानों के कानून के तहत बंदोबस्ती विभाग को दे दी गई.
आज तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम आंध्र प्रदेश सरकार के नियंत्रण में है और इसके प्रमुख की नियुक्ति भी आंध्र प्रदेश सरकार ही करती है. इस मंदिर से मिलने वाला पैसा सरकार जनता के कई कामों के लिए करती है.