Jan 11, 2024, 09:45 AM IST

कैसे बनती है लाल चींटियों की चटनी, इसे मिला है GI Tag

Abhay Sharma

आपने कई मसालेदार चटपटी चटनी का स्वाद चखा होगा. लेकिन, क्या आपने कभी लाल चींटियों से बनी चटनी का स्वाद चखा है? बता दें देश के कई राज्यों में लाल चींटियों से बनी चटनी को लोग बड़े ही चाव से खाते हैं. 

ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ के ट्राइबल लोगों के बीच ये चटनी काफी मशहूर है और यहां के लोग इसे चठकारे ले कर खाते हैं. अब इस चटनी को जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानी जीआई टैग भी मिल गया है. 

इस चटनी को मुख्य रूप से ओडिशा के मयूरभंज डिस्ट्रिक्ट में खाया जाता है और अब यहां की इस खास चटनी को नई पहचान मिली है. इस चटनी को चपरा और काई चटनी भी कहा जाता है. 

यहां के रहने वाले आदिवासियों का मानना ​​है कि यह चटनी फ्लू, सर्दी और थकान को ठीक करती है और यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है और स्वाद में यह तीखी चटपटी चटनी पोषण के गुणों से भी भरपूर होती है. 

बता दें कि मयूरभंज के में एक बड़ी आबादी लाल बुनकर चींटियां और उनसे बनी चटनी बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं. यहां के लोग पारंपरिक तरीके से सील-बट्टे पर पीसकर लाल बुनकर चींटियों की चटनी बनाते हैं.

इस चटनी को बनाने के लिए लाल चींटियों के साथ इनके अंडे का भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले इन्हें साफ किया जाता है और फिर पीसकर सुखाया जाता है. 

इसके बाद इसमें नमक, अदरक, लहसुन और मिर्च मिलाकर दोबारा से पीसा जाता है और इस तरह लाल चींटी की चटनी तैयार की जाती है. बता दें कि स्वादिष्ट होने के साथ ही यह चटनी कई स्वास्थ्य लाभों के भी जानी जाती है.