Sep 14, 2024, 11:05 PM IST

भीम को कैसे मिली थी दस हजार हाथियों जैसी ताकत

Kuldeep Panwar

महाभारत में हर पांडव भाई में कोई न कोई खास गुण था. भीम पवन देव का अंश माने जाते थे और वैसे ही शक्तिशाली थे.

मान्यता है कि महाभारत में जरासंध, बलराम, दुर्योधन जैसे शक्तिशाली योद्धाओं की मौजूदगी के बावजूद भीम सबसे शक्तिशाली थे.

महर्षि व्यास ने महाभारत में भीम के अंदर 10 हजार हाथियों के बराबर ताकत बताई है, जिसका एक खास कारण भी बताया है.

महर्षि व्यास ने महाभारत में भीम के अंदर 10 हजार हाथियों के बराबर ताकत बताई है, जिसका एक खास कारण भी बताया है.

इस कथा के मुताबिक, दुर्योधन-भीम गदायुद्ध के माहिर थे, जिसमें भीम को खुद से आगे निकलता देखकर दुर्योधन उनसे जलता था.

बचपन में दुर्योधन ने भीम के खाने-पीने के शौक का फायदा उठाकर उन्हें अकेले खीर खाने बुलाया. भीम लालच में फंसकर चले गए.

दुर्योधन ने उन्हें विषैले नागों का जहर मिली खीर खिला दी, जिसे खाकर भीम बेहोश हो गए. दुर्योधन ने उन्हें मरा हुआ मान लिया.

दुर्योधन ने बेहोश भीम को नदी में फेंक दिया, जिसमें डूबकर वे पाताल लोक पहुंच गए. जहां हर तरफ नागों का साम्राज्य था.

नागों ने बेहोश भीम को देखकर उन्हें डंसना शुरू कर दिया. उनके जहर से भीम के अंदर का जहर कट गया और वे होश में आ गए.

अपने ऊपर नागों को हमला करते देखकर भीम ने भी उन्हें पीटना शुरू कर दिया. ये सुनकर नागराज वासुकी भी वहां आ गए.

अपने ऊपर नागों को हमला करते देखकर भीम ने भी उन्हें पीटना शुरू कर दिया. ये सुनकर नागराज वासुकी भी वहां आ गए.

आर्यक नाग ने भीम को अपना परिचय दिया. भीम ने जहरीली खीर की जानकारी दी तो उन्हें एक खास कुंड पर ले जाया गया.

इस कुंड में एक खास जड़ी-बूटी का रस भरा जाता था, जिसे पीने वाले व्यक्ति में हजारों हाथियों के बराबर ताकत आ जाती थी.

भीम को भी यह रस पीने के लिए दिया गया. इस बूटी के रस में इतनी शक्ति थी कि भीम को नशा चढ़ गया और वे सो गए.

भीम के शरीर के अंदर गया जड़ी-बूटी का रस पच जाए, इसके लिए आर्यक नाग ने उन्हें एक खास दिव्य बिस्तर पर सुला दिया.

भीम इस बिस्तर पर 8 दिन तक सोते रहे. इन 8 दिन में उनके शरीर में यह रस पच गया और हजारों हाथियों की ताकत आ गई.

नागों ने उन्हें वापस गंगा नदी के तट पर छोड़ दिया. हस्तिनापुर पहुंचकर भीम ने माता कुंती और भाइयों को सारी बात बताई.

नागों ने उन्हें वापस गंगा नदी के तट पर छोड़ दिया. हस्तिनापुर पहुंचकर भीम ने माता कुंती और भाइयों को सारी बात बताई.

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