Jul 5, 2024, 11:11 PM IST

तवायफों ने ही जिंदा रखी भारतीय संगीत की ये 5 नायाब कलाएं

Smita Mugdha

तवायफों  के बारे में आम तौर पर माना जाता है कि उनके कोठे पर नवाब और अमीर लोग आते थे. 

हालांकि, भारत में तवायफों का योगदान संगीत और कलाओं की परंपरा को आगे ले जाने के लिए भी याद किया जाता है. 

कथक और भरतनाट्यम जैसे डांस फॉर्म के साथ कई तरह के राग और गायन परंपराओं को भी तवायफों ने आगे ले जाने का काम किया था.

सबा दीवान की लिखी किताब तवायफनामा में बताया गया है कि देश की मशहूर तवायफें शास्त्रीय संगीत की जानकार थीं. 

तवायफों के कोठे पर ठुमरी, चैती और कजरी का खूब रियाज होता था और देश भर के कला के मुरीद वहां पहुंचते थे.

कुछ तवायफों ने लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत के साथ कई तरह के प्रयोग किए जिसने संगीत परंपरा को समृद्ध किया.

तवायफों ने भारतीय संगीत, शायरी और अदब की दुनिया को समृद्ध करने के लिए काफी काम किया.

आजादी के बाद तवायफों के कोठे की रौनक खत्म होने लगी और मनोरंजन के लिए लोग फिल्मों पर निर्भर हो गए.

अदब, शायरी से लेकर संगीत और कलाओं के क्षेत्र में देश की कई तवायफों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है.