Aug 12, 2024, 07:40 PM IST

लाल किले में आज भी बहती है जन्नत की नदी

Kuldeep Panwar

मुगलों के बनाए दिल्ली के लाल किले को वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में एक गिना जाता है. एकसमय यहीं से पूरे भारत की सत्ता चलती थी.

लाल किले में बने वास्तुकला के अनूठे नमूनों में से ही एक 'जन्नत की नदी' भी है, जो आज भी यहां बहती है. इसे नहर-ए-बहिश्त कहा जाता है.

इस नहर का निर्माण लाल किला बनवाते समय मुगल बादशाह शाहजहां ने कराया था, जिसके जरिये पूरे किले में पानी की सप्लाई की जाती थी.

लाल किले में 'जन्नत की नदी' बंद हो गई थी, लेकिन साल 2021 में आर्कियोलॉजिकल सर्व (ASI) ने इसे फिर से तैयार कराया है.

ASI ने 'नहर-ए-बहिश्त' को फिर से संरक्षित किया है. इसका संरक्षण मुगल वास्तुशैली में ही किया गया है, जिससे लाल किले की सुंदरता और बढ़ गई है.

लाल किले की इस नहर का निर्माण अहमद लाहौरी के दिमाग की उपज थी, जिन्हें मुगलों के इस अनूठे किले का आर्किटेक्ट माना जाता है.

दावा है कि आगरा के ताजमहल का भी ब्लूप्रिंट बनाने वाले अहमद लाहौरी के बनाए नक्शे पर ही दिल्ली में लाल किला तैयार कराया गया था.

5वें मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली लाने के लिए 1638 से 1648 के बीच लाल किले का निर्माण कराया था.

तीन तरफ से यमुना नदी से घिरा होने से किले में रहने वालों के लिए खूब पानी मौजूद था, लेकिन दिक्कत उसकी सप्लाई को लेकर थी.

लाल किले के चप्पे-चप्पे तक पानी पहुंचाने के लिए ही अहमद लाहौरी ने नहर बनाई, जिसे बादशाह ने गर्मी में प्यास बुझाने वाली जन्नत की नदी कहा था.

यदि वास्तुकला की बात की जाए तो लाल किले में  पारसी, तैमूरी और हिंदू वास्तुकला का मिला-जुला रूप दिखाई देता है, जो बेहद सुंदर है.

लाल रंग के बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बने दिल्ली के लाल किले को साल 2007 में यूनेस्को ने विश्व के संरक्षित धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया था.