Sep 26, 2023, 01:29 PM IST

महिला नागा साधुओं की 5 हैरान कर देने वाली बातें

Kavita Mishra

नागा साधुओं के बारे में कम जानकारी होने की वजह से इनके विषय में जानने की लोगों में अधिक उत्सुकता होती है. 

पुरुषों की तरह ही महिला नागा साधु भी होती हैं. महिला नागा साधु भी अपने जीवन को पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित कर देती हैं.

 कई वर्षों की कठिन परीक्षाओं के बाद कोई महिला नागा साधु बन पाती है. नागाओं की दुनिया में किसी भी तरह के मोह-माया की इजाजत नहीं होती है.

आज हम आपको महिला नागा साधुओं से जुड़ी 5 बातें बताएंगे, जिसे जानकार आप हैरान रह जाएंगे. 

 नागाओं के इष्ट भगवान शंकर होते हैं इसलिए इनका जीवन भी बिल्कुल भगवान शिव की तरह ही होता है. यह  नित्य कर्मों के बाद शिवजी का करती है और केवल एक समय भोजन ग्रहण करती हैं.

इन्हें सबसे पहले भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर के खुद का पिंडदान करना पड़ता है. इसके बाद ये साध्वी मुंडन करवा कर खुद का तर्पण करती हैं. गृहस्थ जीवन से निकल कर खुद का पिंडदान कर ये साध्वी खुद को इस संसार के लिए मृत बना देती हैं. 

पुरुष नागा साधु नग्न रह सकते हैं लेकिन महिला नागा साधु को इसकी इजाजत नहीं होती है. महिलाओं को भी दीक्षा देकर नागा बनाया जाता है लेकिन वह सभी वस्त्रधारी होती हैं.

 महिला नागा साधु माथे पर तिलक और सिर्फ एक चोला धारण करती हैं.  महिला नागा साधुओं को अपने मस्तक पर तिलक लगाना जरूरी होता है.

महिला नागा साधु या संन्यासनी बनने के लिए 10 से 15 साल तक कठिन ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है. अखाड़े की महिला नागा साधुओं को माई, अवधूतानी या नागिन कहकर बुलाया जाता है लेकिन माई या नागिनों को अखाड़े के किसी प्रमुख पद के लिए नहीं चुना जाता है.