अर्जुन का घमंड तोड़ने के लिए हनुमान ने क्या किया था
Kuldeep Panwar
माना जाता है कि महाभारत का युद्ध पांडवों ने अर्जुन की बदौलत जीता था, जिन्होंने कौरवों की सेना के भीष्म पितामह, कर्ण, गुरु द्रोणाचार्य जैसे सभी बड़े महारथियों को हराया था.
अर्जुन की इस सफलता में उनकी धनुर्विद्या का तो कमाल था ही, लेकिन इसके साथ ही उनके साथ भगवान हनुमान जी, भगवान श्रीकृष्ण और शेषनाग की मौजूदगी भी उनकी जीत का बड़ा कारण थी.
श्रीकृष्ण ने जहां सारथी के तौर पर उनका रथ हांकने के दौरान समय-समय पर उन्हें सही राह दिखाई, वहीं हनुमान जी हर समय उनके रथ की पताका के ऊपर बैठकर संकटों से उसकी रक्षा करते रहे.
क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी अर्जुन के रथ पर बैठकर उनकी रक्षा क्यों कर रहे थे? दरअसल इसके पीछे एक कहानी है, जो अर्जुन का घमंड तोड़ने से भी जुड़ी हुई है. चलिए हम बताते हैं.
दरअसल, अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने कदली वन में पुष्प लाने भेजा, जहां हनुमान रहते थे. अर्जुन ने हनुमान को नहीं देखा और पुष्प तोड़ लिए.
क्रोधित हनुमान ने कहा कि राम जी के बगीचे से पुष्प क्यों तोड़े तो अर्जुन ने पूजा के लिए तोड़ने की बात कही और भगवान श्रीकृष्ण का नाम लिया. इस पर हनुमान हंसकर बोले, तुम्हारा तो भगवान ही चोर है.
हनुमान की बात सुनकर अर्जुन भड़क गए और कहने लगे कि हम भी राम जी को जानते हैं. धनुष-बाण रखते थे और समुद्र पर पुल बांधने के लिए वानर लगा दिए. मैं होता तो तीर से ही पुल बना देता.
हनुमान हंसकर बोले, तुम्हारा तीरों का पुल तो मेरा वजन भी नहीं सह पाता. इस पर अर्जुन ने शर्त लगा ली कि यदि उनके तीरों का पुल टूट गया तो वे अपनी जान दे देंगे.
अर्जुन ने तीरों का पुल बनाया तो हनुमान विशाल रूप बनाकर उस पर चढ़े और पुल टूट गया. इस पर अर्जुन ने अपनी जान देने की तैयारी कर ली. ये देखकर हनुमान परेशान हो गए.
अर्जुन ने चिता सजाई तो श्रीकृष्ण वहां ब्राह्मण वेश धरकर आए और पूछा तुम लोगों की शर्त में निर्णायक तो कोई था नहीं. इसलिए दोबारा शर्त पूरी की जाएगी और मैं निर्णायक बनूंगा.
अर्जुन दोबारा तीरों का पुल बनाने लगे तो ब्राह्मण ने कान में कहा कि श्रीराम का नाम लेकर तीर चलाओ. अर्जुन ने ऐसा ही किया. तब पुल हनुमान के चढ़ने से नहीं टूटा.
अर्जुन ने हनुमान से अहंकार के लिए माफी मांगी, तब हनुमान बेहद खुश हुए. उन्होंने कुछ मांगने के लिए कहा. तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि युद्ध में वे अर्जुन के रथ पर रहकर उसकी रक्षा करेंगे.
हनुमान यही वादा पूरा करने के लिए महाभारत के पूरे युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ की पताका पर बैठे रहे, जिससे उस पर किसी भी दिव्यास्त्र का असर नहीं हुआ और अर्जुन सुरक्षित रहे.
आखिरी दिन अर्जुन के बाद जैसे ही श्रीकृष्ण रथ से उतरे तो वह जलकर भस्म हो गया. तब श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि यदि हनुमान नहीं होते तो यह रथ पहले ही दिन भीष्म पितामह के दिव्यास्त्रों से अर्जुन के साथ जल जाता.