Oct 19, 2023, 09:06 PM IST

कर्ण के एक वार से हनुमान जी भी खिसक जाते थे पीछे

Kuldeep Panwar

महाभारत में पांडवों में से एक अर्जुन को सबसे बड़ा धनुर्धर माना जाता है, लेकिन उन्हें टक्कर देने वाला एक योद्धा कुरुक्षेत्र की रणभूमि में मौजूद था.यह योद्धा कर्ण था, जो कौरवों की तरफ से लड़ रहा था.

महाभारत में वेद व्यास मुनि ने कर्ण को बेहद पराक्रमी और सभी दैवीय अस्त्रों यानी ब्रह्मास्त्र, वैष्णवास्त्र आदि धारण करने वाला योद्धा बताया है, जिसका सामना कोई नहीं कर पाता था.

पांडवों का सबसे बड़ा भाई (माता कुंती की विवाह से पहले की संतान) होने के बावजूद कर्ण ज्येष्ठ कौरव दुर्योधन की दोस्ती के लिए महाभारत के युद्ध में अर्जुन का वध करने उतरे थे.

श्रीकृष्ण ने युद्ध से पहले ही देवराज इंद्र की मदद से छल द्वारा कर्ण के अमोघ व अजेय कवच-कुंडल दान में ले लिए थे, जिनके रहते कर्ण को हराना और मारना असंभव था. इसके बाद भी युद्ध में कर्ण अर्जुन से कमतर नहीं रहे.

कर्ण और अर्जुन के बीच महाभारत में बेहद भयानक युद्ध हुआ था. यह युद्ध इतना भयानक था कि सभी लोग आपस में लड़ना छोड़कर कर्ण और अर्जुन के तीरों को ही देखने लगे थे.

युद्ध में अर्जुन के रथ पर जहां श्रीकृष्ण के रूप में स्वयं भगवान विष्णु सारथी रूप में सवार थे, वहीं भगवान शंकर के रूद्र हनुमान जी भी रथ की पताका पर बैठे हुए थे यानी अर्जुन के साथ स्वयं सर्वोच्च शक्तियां थीं.

युद्ध के दौरान अर्जुन का तीर लगने पर कर्ण का रथ 25 से 30 गज पीछे खिसक जाता था, लेकिन कर्ण का तीर लगने पर अर्जुन का रथ महज 7 कदम ही पीछे हटता था.

इसके बावजूद श्रीकृष्ण अर्जुन के तीर की प्रशंसा करने के बजाय कर्ण की तीरंदाजी पर तालियां बजाकर उनके तारीफ कर रहे थे. इससे अर्जुन बेहद नाराज थे.

नाराज अर्जुन ने जब श्रीकृष्ण से कारण पूछा तो उन्होंने कहा, हे अर्जुन, तुम्हारे रथ की पताका पर हनुमान, पहियों में शेषनाग और खुद मैं सारथी रूप में मौजूद हूं, तब भी कर्ण इस रथ को पीछे खिसका देता है, जो उनके महाबली होने का प्रमाण है.

मान्यता है कर्ण के तीरों से अर्जुन का रथ भस्म हो चुका था, लेकिन श्रीकृष्ण और हनुमान की मौजूदगी ने ही उसे अपने स्वरुप में बनाए रखा. युद्ध के बाद अर्जुन और फिर श्रीकृष्ण नीचे उतरे, पूरा रथ जलकर भस्म हो गया था.