Nov 2, 2024, 01:04 AM IST
3 रस्म निभाकर ही बन सकते थे तवायफ
Kuldeep Panwar
तवायफों की जिंदगी पर बॉलीवुड में कई मशहूर फिल्म बनी हैं, जिनमें मीना कुमारी की पाकीजा, रेखा की उमराव जान को याद किया जाता है.
इन फिल्मों ने हमारे मन में तवायफों की अलग ही छवि बना रखी है, पर तवायफ असल में क्या थीं, ये दिखाने की कोशिश हालिया रिलीज हीरामंडी वेब सीरीज में हुई है.
अधिकतर लोग मानते हैं कि तवायफ कोठे पर नाच-गाने के साथ देह व्यापार करने वाली महिलाएं होती थीं, लेकिन हकीकत इससे अलग थी.
क्या आप जानते हैं कि कोई भी आम लड़की तवायफ नहीं बन सकती थी, बल्कि इसके लिए उस लड़की को 3 रस्में पूरी करनी होती थी.
तवायफ बनने की इन रस्मों की शुरुआत बचपन से किशोरावस्था में कदम रखते समय होती थी, जिसमें सबसे पहली रस्म होती थी अंगिया.
किसी लड़की को अंगिया यानी ब्रा पहनाने की रस्म तब पूरी की जाती थी, जब किशोरावस्था में आने के कारण उसके शरीर में बदलाव आने लगते थे.
तवायफ बनने की दूसरी अहम रस्म थी मिस्सी, जिसमें आयरन व कॉपर सल्फेट पाउडर की मदद से लड़की के दांत-मसूड़े काले किए जाते थे.
आपको जानकर हैरानी होगी कि भले ही अब चमकते हुए मोतियों जैसे दांत खूबसूरती का पैमाना होते हैं, लेकिन उस जमाने में ऐसा नहीं था.
उस जमाने में काले पड़ चुके दांत और मुंह में दबे कत्थे की सुर्खी से लाल पड़े होंठ सबसे अच्छे माने जाते थे. इसी कारण मिस्सी रस्म होती थी.
तवायफ बनने की तीसरी रस्म सबसे खास होती थी. यह आखिरी रस्म थी नथ उतराई, जिसमें कुंआरी लड़की के बदन की बोली लगती थी.
नथ उतराई रस्म के लिए बाकायदा बड़े-बड़े जमींदारों व रईसों को निमंत्रण भेजे जाते थे. इसके बाद लड़की के बदन की बोली लगाई जाती थी.
नथ उतराई रस्म कोठों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया थी. सबसे बड़ी बोली वाला रईस कुंआरी तवायफ संग पहली बार शारीरिक संबंध बनाता था.
नथ उतराई की रस्म की रात लड़की को दुल्हन की तरह सजाया जाता था. यह उसकी सुहागरात मानी जाती थी. इसके बाद वह नथ नहीं पहनती थी.
DISCLAIMER: यह पूरी जानकारी सामाजिक मान्यताओं व दावों पर आधारित है. इसकी सत्यता की पुष्टि DNA Hindi नहीं करता है.
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