Jul 17, 2024, 12:43 PM IST

हुसैनी ब्राह्मणों ने कर्बला में क्यों दी थी कुर्बानी

Aditya Prakash

मुहर्रम मुसलमानों के लिए मातम का दिन होता है. ये मातम कर्बला की जंग में शहीद हुए योद्धाओं के लिए मनाया जाता है.

लेकिन, क्या आपको पता है कि कर्बला की जंग सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि ब्राह्मणों के एक तबके के लिए भी मायने रखता है.

नबी मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन जंग-ए-कर्बला में हिस्सा ले रहे थे तो उनका साथ देने भारत से कुछ ब्राह्मण भी वहां गए.

इस जंग में शहादत देकर उन्होंने हिंदू-मुस्लिम के बीच दोस्ती की एक ऐतिहासिक मिसाल पेश की.

जंग-ए-कर्बला तानाशाह यजीद और इंसाफ पसंद इमाम हुसैन के बीच की लड़ाई थी. सच का साथ देते हुए इंसाफ पसंद लोगों ने अपनी शहादत दी थी.

इमाम हुसैन जंग में शामिल हो रहे थे, तो उन्होंने मदद के लिए हिंदू राजा और मोहयाल ब्राह्मण राजा राहिब सिद्ध दत्त को इसकी सूचना दी थी.

राहिब सिद्ध दत्त की तरफ से इस जंग में शरीक होने का फैसला लिया गया. मोहयाली योद्धाओं ने इस जंग में अपने शौर्य का भरपूर प्रदर्शन किया.

कर्बला में मोहयाली योद्धाओं को 'हिंदिया' कहा गया. साथ ही पूरी दुनिया में इन्हें 'हुसैनी ब्राह्मण' के तौर पर जाना गया.

हुसैनी ब्राह्मण ज्यादातर पंजाब, कश्मीर, सिंध, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में रहते हैं, ये मुहर्रम में इमाम हुसैन की शहादत को यादकर अपना दुख जताते हैं.