किंग कोबरा यानी नाग के पास नागमणि होने के कई किस्से-कहानियां आपने सुने होंगे और पढ़े होंगे. मान्यता है कि 100 साल से ज्यादा उम्र के नाग पर नागमणि होती है.
बहुत सारे लोगों ने हकीकत में नागमणि देखने का दावा भी किया है, पर कभी किसी के हाथ नहीं लगी. इसलिए यह किस्से-कहानियों में ही चर्चित रही है.
मान्यता है कि जब नागमणि मिलने पर नाग इच्छाधारी होकर किसी का भी रूप बना सकता है. बॉलीवुड फिल्मों और टीवी सीरियलों ने इस मान्यता को खूब भुनाया है.
यह भी दावा है कि यदि किसी इंसान के हाथ नागमणि लग जाए तो वह बेशुमार धन-दौलत और ताकत हासिल कर लेता है, लेकिन क्या वास्तव में नागमणि होती है? चलिए हम आपको बताते हैं.
पहले जानते हैं कि नागमणि बनने का दावा क्या है? 100 साल से ज्यादा उम्र के किंग कोबरा के मुंह में यदि स्वाति नक्षत्र की बारिश की बूंदें चली जाएं तो वह नागमणि बन जाती है.
मान्यता है कि यह नागमणि किंग कोबरा के फन के ऊपर यानी उसके माथे पर खाल के अंदर रहती है और यह भगवान शिव का आशीर्वाद है.
इस मान्यता के हिसाब से देखा जाए तो किंग कोबरा अपनी नागमणि किसी गुफा या बिल में नहीं अपने माथे के अंदर ही छिपाकर रखता है.
इस मान्यता के कारण हर साल पूरी दुनिया में हजारों किंग कोबरा की पकड़कर नागमणि की तलाश में उनका फन चीरकर हत्या कर दी जाती है.
साइंस भी नागमणि के अस्तित्व को नहीं मानता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, नाग के सिर के अंदर मणि या मोती बनने जैसा कोई तंत्र नहीं पाया गया है.
इंटरनेट पर आपको बहुत सारे ऐसे फर्जी वीडियो मिलेंगे, जिनमें नाग का सिर चीरकर काले पत्थर जैसी नागमणि निकालने का दावा लोग करते दिखेंगे.
SCI-ART LAB पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में डॉ. कृष्णा कुमारी छल्ला ने इस दावे का खंडन किया है. उन्होंने कहा है कि यह नागमणि नहीं बल्कि सांप के माथे की हड्डी होती है.
कुछ वैज्ञानिकों के मुताबिक, सांपों में भी इंसानों की तरह पित्त की पथरी बनती है. बड़े आकार की पथरी को ही मणि समझ लिया गया होगा और फिर यह भ्रांति मशहूर होती चली गई है.
वैज्ञानिक भले ही नागमणि के अस्तित्व को नकारें, लेकिन कुछ धर्मग्रंथों में भी इसका जिक्र मिलता है. वृहतसंहिता में नागमणि को लेकर बहुत सारी हैरान करने वाली जानकारी है.
वृहतसंहिता में भारतीय पौरोणिक काल के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में से एक वराहमिहिर ने लिखा था कि नागमणि आग से ज्यादा चमकदार और तेज रोशनी वाली होती है.
वराहमिहिर ने यह भी लिखा था कि नागमणि धारण करने वाले राजा को कोई हरा नहीं सकता. उस पर किसी बीमारी या जहर का भी असर नहीं होगा.
वृहतसंहिता के अलावा भी कई ग्रंथों में नागमणि का जिक्र है, पर कहीं भी इसे लेकर कोई सबूत मौजूद नहीं है कि किस आधार पर ये बातें लिखी गई हैं.