यूपी के इन 10 'बाहुबली' सांसदों से छिन सकती है कुर्सी
Kuldeep Panwar
लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार का गठन हो चुका है. संसद में भी कामकाज 23 जून को सांसदों के शपथ ग्रहण के साथ शुरू हो जाएगा.
सांसद का कार्यकाल 5 साल का होता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के कई सांसदों के लिए संसद के दरवाजे तय समय से पहले ही बंद हो सकते हैं.
दरअसल इन सांसदों पर कोर्ट केस चल रहे हैं और यदि उन्हें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अधिनियम 8(3) के मुताबिक दो साल से ज्यादा की सजा मिलती है तो उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी.
गाजीपुर के गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी सपा के सांसद हैं. उन्हें पहले ही 4 साल की सजा मिल चुकी है, जिस पर हाई कोर्ट का स्टे है.
सुल्तानपुर में मेनका गांधी को हराने वाले सपा के रामभुआल निषाद पर भी गैंगस्टर एक्ट व जानलेवा हमले के मामलों समेत 8 केस चल रहे हैं.
जौनपुर से सपा सांसद बाबू सिंह कुशवाहा नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (NRHM) में घोटाले व आय से अधिक संपत्ति समेत कुल 25 केस दर्ज हैं. इनमें 8 केस में आरोप तय हो चुके हैं.
सपा मुखिया अखिलेश यादव के चचेरे भाई व आजमगढ़ सीट से सांसद धर्मेंद्र यादव के खिलाफ 4 केस में से एक में आरोप तय हो चुके हैं.
दलित राजनीति का नया चेहरा बने आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर पर कुल 36 मामले दर्ज हैं. नगीना से सांसद बने चंद्रशेखर के खिलाफ 4 केस में आरोप तय हो चुके हैं.
सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के खिलाफ ED के मनी लॉन्ड्रिंग केस समते कुल 8 केस दर्ज हैं. इनमें से 2 में आरोप तय हो चुके हैं.
बिजनौर से RLD सांसद चंदन चौहान के खिलाफ 3 आपराधिक केस दर्ज हैं. चंदन यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम नारायण सिंह के पोते हैं.
हाथरस से भाजपा सांसद अनूप प्रधान के खिलाफ गंभीर धारा में एक केस दर्ज है, जिसमें आरोप तय किए जा चुके हैं और फैसले का इंतजार है.
चंदौली से सपा सांसद वीरेंद्र सिंह के खिलाफ भी 3 गंभीर केस दर्ज हैं, जिनमें से एक में 2023 में ही आरोप दर्ज हो चुके हैं. अब केवल फैसला आने का इंतजार है.
बस्ती से सपा सांसद राम प्रसाद चौधरी के खिलाफ भी 8 केस दर्ज हैं, जिनमें से 2 गंभीर किस्म के हैं.