Sep 15, 2024, 01:07 AM IST

दो देशों में फैला है ये गांव, किचन भारत तो बेडरूम होता है विदेश में

Kuldeep Panwar

क्या आपने कभी सुना है कि किसी एक घर में रहने वाले लोग खाना एक देश में खाते हैं और जब सोते हैं तो वे दूसरे देश की जमीन पर होते हैं.

यदि नहीं सुना है तो आपको एक बार पूर्वोत्तर भारत के खूबसूरत राज्य नागालैंड घूमकर आना चाहिए, जहां मोन जिले में ऐसे घरों वाला एक गांव है.

मोन जिले का लोंगवा गांव दो देशों की सीमा में बसा हुआ है यानी इसका आधा हिस्सा भारत में है तो आधा हिस्सा म्यांमार की सीमा में आता है.

इस अजब स्थिति के कारण भारत के इस आखिरी गांव के लोगों पर दोहरी नागरिकता है, जिससे उन्हें म्यांमार आने-जाने के लिए वीजा नहीं लेना पड़ता है.

नागालैंड के सबसे बड़े गांवों में से लोंगवा का नाम सुनते ही एकसमय लोग कांप जाते थे. दरअसल यहां कोंयाक आदिवासी जाति के लोग रहते हैं.

नागालैंड के कोंयाक आदिवासी समुदाय को बेहद खूंखार माना जाता है. 1960 के दशक तक इन आदिवासियों में सिर के शिकार की प्रथा थी.

1940 में प्रतिबंधित हो चुकी सिर के शिकार की प्रथा के कारण आज भी यहां के कुछ परिवारों  पास पीतल चढ़ी खोपड़ियों के हार पाए जाते हैं.

कोंयाक आदिवासियों का अपनी जमीन और कबीले की रक्षा के लिए सदियों से पड़ोसी गांवों के साथ युद्ध होता रहता है. उन्हें खूंखार माना जाता है.

खूंखार होने से ही म्यांमार की सेना में कोंयाक समुदाय के लोगों को तरजीह दी जाती है. इस समुदाय के 27 गांव म्यांमार की सीमा में मौजूद हैं.

भारत के कोंयाक और म्यांमार के कोंयाक समुदाय के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता रहता है. इस कारण उन पर दो देशों के प्रतिबंध नहीं हैं.

लोंगवा गांव के वंशानुगत मुखिया 'द अंग' की 60 पत्नी हैं. इस मुखिया का हुक्म म्यांमार और अरुणाचल प्रदेश के 70 से ज्यादा गांवों में चलता है.

लोंगवा गांव की शांत वादियां पर्यटकों में भी बेहद पॉपुलर है. हालांकि यहां म्यांमार से आई तस्करी की अफीम के कारण भी पर्यटक खिंचे तले आते हैं.

शांत वादियों के अलावा लोंगवा में डोयांग नदी, शिलोई झील, हांगकांग मार्केट, नागालैंड साइंस सेंटर जैसे स्थल भी टूरिस्ट अटरेक्शन पॉइंट रहते हैं.

मोन शहर से करीब 42 किलोमीटर दूर मौजूद लोंगवा गांव तक पहुंचने के लिए वहां से आसानी से कार किराये पर मिल जाती है.

टूरिस्ट्स की भीड़ के बावजूद लोंगवा गांव के लोग अपनी विशिष्ट संस्कृति को लेकर बेहद सजग रहते हैं. वे अपनी परंपराओं का सख्ती से पालन करते हैं.