Lanka में Ravan को धूल चटाने के बाद कहां गई Lord Ram की वानर सेना?
Syed Jafri
लंका में हुए युद्ध में रावण के पास बलशाली राक्षसों की सेना थी. इसके ठीक उलट भगवान राम के पास वानर सैनिकों की सेना थी.
कहा जाता है कि वानरों की सेना को देखकर रावण ने उनकी खिल्ली भी खूब उड़ाई थी. बाद में इसी सेना ने रावण को धूल चटा कर रख दी.
आज भी तमाम लोगों के सामने बड़ा प्रश्न यही है कि लंका में हुए युद्ध के बाद आखिर प्रभु श्रीराम की ये वानर सेना कहां गई?
वाल्मीकि रामायण कि मानें तो श्रीराम-रावण युद्ध में अगर किसी ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई तो वो वानर सेना ही थी.
बताते चलें कि श्रीराम-रावण युद्ध में वानर सेना का नेतृत्व सुग्रीव और अंगद जैसे महान योद्धाओं ने किया था.
रामायण के उत्तर कांड में इसका वर्णन है कि लंका विजय के बाद जब सुग्रीव लौटे तो उन्हें भगवान श्रीराम ने किष्किन्धा का राजा बनाया. वहीं बालि के पुत्र अंगद युवराज बने. माना जाता है कि वानर सेना लंका से आने के बाद सुग्रीव के साथ ही रही.
विद्वानों का ये भी मत है कि लंका युद्ध के दौरान वानर सेना में अहम पदों पर रहे वानर किष्किंधा में भी अहम जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे थे.
चाहे वो नल और नील रहे हों या फिर सुग्रीव और अंगद. बताया ये भी जाता है कि इन तमाम लोगों ने अपने अथक प्रयास से किष्किन्धा के राज्य का विस्तार किया.
किष्किंधा आज भी कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी के किनारे है. यहां ऐसी तमाम गुफाएं हैं जिनको देखकर स्वतः इस बात की पुष्टि हो जाती है कि यहां कभी वानरों का साम्राज्य था.
माना ये भी जाता है कि किष्किंधा की गुफाओं के अलावा वानर दंडक वन या दंडकारण्य वन में रहते थे ये स्थान भी किष्किंधा के पास ही स्थित है.
बताते चलें कि वानर सेना में वानरों के अलग अलग समूह थे और हर समूह का एक सेनापति था जिसे यूथपति कहते थे. माना जाता है कि वानर सेना में वानरों की संख्या 1 लाख के आसपास थी.