26 दिन तक मुगलों को लाल किले में बंद रखने वाला महाराजा
Kuldeep Panwar
भारत के इतिहास में बहुत सारे राजा ऐसे हुए हैं, जिनकी वीरता के किस्से आपके अंग-अंग में जोश भर देंगे. ऐसे ही एक बाहुबली योद्धा भरतपुर के महाराजा सूरजमल भी हुए हैं.
महाराजा सूरजमल को 'अदृश्य राजा' भी कहा जाता था, क्योंकि वे अपने पूरे जीवन में अजेय थे यानी उन्होंने कभी कोई युद्ध नहीं हारा था.
सूरजमल ने 80 युद्धों में भाग लिया था, जिनमें से हर युद्ध में उनकी सेना ने विजय पताका फहराई थी. उनकी वीरता के चलते मुगल सल्तनत भी उनके नाम से कांपती थी.
राजस्थान के भरतपुर राजवंश के संस्थापक बदन सिंह के पुत्र सूरजमल अकेले ऐसे राजा थे, जिन्होंने मुगलों से आगरा का किला जीतने में सफलता हासिल की थी.
सूरजमल ने 12 जून, 1761 को आगरा जीता था. यह आक्रमण उन्होंने मुगलों से गोकुला का बदला लेने के लिए किया था, जिनके टुकड़े 90 साल पहले आगरा किले के गेट पर कर दिए गए थे.
मुगल सूरजमल की सेना से कितना कांपते थे, इसका अंदाजा ऐसे लगाइए कि सूरजमल की सेना ने 9 मई, 1753 से 4 जून, 1753 तक दिल्ली पर अपनी हुकूमत चलाई थी. इस दौरान 26 दिन तक मुगल लाल किले में छिपे रहे थे.
तत्कालीन मुगल बादशाह अहमदशाह की जीवनी 'तारीख़-ए- अहमदशाह' में सूरजमल की सेना के इस कारनामे का जिक्र है. तभी से 'जाट-गर्दी' शब्द का प्रचलन शुरू हुआ था.
पानीपत के तीसरे युद्ध में अफगानिस्तान के लुटेरे अहमदशाह अब्दाली से मराठा सेना की हार के बाद सूरजमल ने ही उनकी विधवाओं को शरण दी थी और वापस सुरक्षित सतारा भिजवाया था.
इस युद्ध में सूरजमल भी मराठों के साथ थे, लेकिन युद्ध से पहले अपमान होने पर वे वापस चले गए थे. अब्दाली को बुलाने वाले रुहेला सरदार ने इसे मराठों की हार का संकेत बताया था.
अहमदशाह अब्दाली दिल्ली, मथुरा और आगरा में नरसंहार करने के बाद भरतपुर रास्ते में आने के कारण ही वापस लौटा था, जिसका जिक्र जदुनाथ सरकार जैसे इतिहासकार ने किया है.
इतिहासकारों के मुताबिक, सूरजमल का नाम दिल्ली, रूहेलखंड (मौजूदा बरेली), अवध, भोपाल, बुंदेलखंड से लेकर मौजूदा पंजाब के इलाके तक राजाओं में खौफ भर देता था.
सूरजमल को 25 दिसंबर, 1763 को दिल्ली के बाहर शाहदरा में हिंडन नदी में स्नान करते समय रूहेला नवाब नजीबुद्दौला के साथ मुगल सेना के धोखे से हुए आक्रमण में वीरगति मिली थी.