May 6, 2024, 12:13 AM IST

महाराणा प्रताप को किस मुस्लिम योद्धा पर था खुद से ज्यादा भरोसा

Rahish Khan

हकीम खां सूरी वो अफगान योद्धा था जिसने मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी.

हकीम खां सूरी, शेरशाह सूरी का वंशज था. जिसपर महाराणा प्रताप सबसे ज्यादा भरोसा करते थे. 

वह महाराणा प्रताप के तोपखाने के प्रमुख हुआ करते थे. युद्ध के हर फैसले में उनकी राय अहम होती थी.

18 जून 1576 को जब हल्दीघाटी का युद्ध हुआ तो महाराणा प्रताप की तरफ से हकीम खां सूरी ने नेतत्व किया था.

वहीं मुगल बादशाह अकबर की तरफ से आमेर के राजा मान सिंह-1 कर रहे थे.

महज 38 साल के इस अफगानी पठान ने अकबर के हरावल पर हमला कर पूरी मुगल सेना को उलटे पैर भागने पर मजबूर कर दिया था.

लेकिन अद्भुत शौर्य दिखाने के बावजूद वह इस युद्ध में आखिरकार जान गंवा बैठे. मुगल सेना ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया.

इसके बाद भी वह कुछ देर तक घोड़े पर योद्धा की तरह सवार रहे. मृत्यु के बाद हल्दी घाटी में जहां उनका धड़ गिरा. वहीं, समाधि बनाई गई.

हकीम खां सूरी को उनकी तलवार के साथ दफनाया गया. उन्हें पीर का दर्जा दिया गया. जहां आज भी हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी मन्नत पूरी करने के लिए माथा टेकते हैं.