सनातन धर्म के लोगों के लिए 22 जनवरी महत्वपूर्ण दिन रहा. प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अयोध्या के साथ-साथ पूरे भारत देश में खुशी का माहौल है.
ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि सीता ने किस जगह के ब्राह्मण को श्राप दिया था, जिसकी वजह से आज भी वह दरिद्र हैं.
श्रीराम और लक्ष्मण जी श्राद्ध की सामग्री जुटाने में लग गए. उन्हें आने में देरी हो गई तो देवी सीता ने दशरथ जी का श्राद्ध कर्म पूरा किया.
देवी सीता ने फल्गु नदी की रेत से पिंड बनाए और पिंडदान कर दिया. इस पिंडदान का साक्षी माता ने वहां मौजूद फल्गु नदी, गाय, तुलसी, अक्षय वट और एक ब्राह्मण को बनाया.
जब श्रीराम और लक्ष्मण जी लौटे तो देवी ने उन्हें श्राद्ध की सारी बात बताई लेकिन राम को यकीन नहीं हुआ तो उन्होंने समस्त साक्षी गण इसके बारे में पूछा लेकिन वटवृक्ष को छोटकर समस्त साक्षी गण झूठ बोल गए.
जिसके बाद सीता ने सभी को श्राप दिया था, श्राप के कारण ही फल्गु नदी में बरसात को छोड़कर कभी पानी नहीं रहता है.
माता सीता ने ब्राह्मण को कभी भी संतुष्ट न होने और कितना भी मिले उसकी दरिद्रता हमेशा बनी रहेगी का श्राप दिया.
इसी कारण ब्राह्मण कभी दान दक्षिणा के बाद भी संतुष्ट नहीं होते हैं.
माता सीता ने तुलसी को श्राप दिया कि वह कभी भी गया कि मिट्टी में नहीं उगेगी.