Jul 30, 2024, 12:18 AM IST

वो मुगल बादशाह, जिसकी आंखें फोड़कर दी गई थी मौत

Kuldeep Panwar

मुगलिया सल्तनत के चरम के दौर में दिल्ली की तरफ देखने की हिम्मत किसी की नहीं थी, लेकिन बादशाह औरंगजेब के बाद आए मुगल बादशाहों के दौर में हालात ऐसे नहीं थे.

हालात इतने बदतर हो गए थे कि एक समय लगभग पूरे भारत पर राज करने वाले मुगल बादशाहों का असर दिल्ली तो दूर लाल किले के दरवाजे के बाहर भी नहीं बचा था.

मुगलिया सल्तनत के इस खराब दौर में भी अगस्त, 1788 को लालकिले में एक ऐसी घटना हुई, जिसके बारे में कभी सोचा भी नहीं जा सकता था.

जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब 'फॉल ऑफ मुगल एम्पायर' में उस घटना का जिक्र किया है, जिसमें बादशाह को उसके गुलाम ने सरेआम सिंहासन से खींचकर उसकी आंखें फोड़ दी थी. 

दरअसल बात हो रही है मुगलिया सल्तनत के 17वें बादशाह शाह आलम द्वितीय की, जो शासक कम और ब्रज-फारसी कविताओं का कवि ज्यादा था. 

अगस्त, 1788 में शाह आलम के अफगान सिपहसालार गुलाम कादिर रोहिल्ला ने दो हजार सैनिकों के साथ लाल किले पर कब्जा कर लिया.

शाह आलम तब शाही दरबार में बैठा था. गुलाम कादिर सीधे वहां पहुंचा और बादशाह को शाही तख्त से खींचकर नीचे गिराकर खुद वहां बैठ गया.

गुलाम कादिर ने खजाने की जानकारी नहीं देने तक बादशाह को धूप में भूखा-प्यासा बैठाने का हुक्म सुनाया. बादशाह बार-बार अपने पास कुछ नहीं होने की दुहाई देता रहा. 

नाराज गुलाम कादिर ने पहले शाह आलम की आंखों में सुईं घोंपकर उन्हें फोड़ दिया. इस पर भी मन नहीं भरा तो वो उसके सीने पर बैठ गया.

शाह आलम के सीने पर बैठकर कादिर ने खंजर से उसकी आंखें निकाल ली. इसके बाद उसने चित्रकार बुलाकर उस दृश्य की तस्वीर भी बनवाई.

गुलाम कादिर की क्रूरता यहीं खत्म नहीं हुई. आंखें निकलने पर भी जिंदा बादशाह को धूप में ही कई दिन तक बिना खाना-पानी के तड़पाया गया.

इस दौरान भड़के हुए गुलाम कादिर ने बादशाह के हरम में अपने सैनिकों को छोड़ दिया. बेगमों, राजकुमारियों और रखैलों को नंगा किया गया.

नंगी राजकुमारियों और बेगमों को सबके सामने नाचने के लिए मजबूर किया गया. इस दौरान उनकी मदद करने आए लोगों को गले काट दिए गए.

कई राजकुमारियां और बेगम बचने के लिए लाल किले की दीवार से यमुना नदी में कूद गई, जिन्हें नग्न हालत में दिल्ली के लोगों ने बचाया. ये जुल्म बादशाह की मौत पर खत्म हुआ.

दरअसल शाह आलम द्वितीय ने गुलाम कादिर के पिता और अपने सेनापति जबिता खान का विद्रोह मराठा सरदार महादजी शिंदे के जरिये कुचला था.

जबिता खान को मारने के बाद पत्थरगढ़ के किले में मौजूद लोगों को बाहर निकालकर महिलाओं के साथ मुगल सेना ने बलात्कार किया था.

शाह आलम के पास बंदी बनाकर दिल्ली लाए गए लोगों में 8 साल का गुलाम कादिर भी था. बादशाह ने उसे अपने पास रखकर पालना शुरू कर दिया.

गुलाम कादिर के संबंध मुगल हरम की औरतों के साथ हुए तो नाराज बादशाह ने धोखे से उसे बधिया कराकर हमेशा के लिए नामर्द बना दिया.

गुलाम कादिर ने इस घटना के बावजूद मुगल सेना में बड़ा पद हासिल किया और फिर मौका मिलते ही बादशाह से अपना बदला ले लिया.