Aug 16, 2024, 12:31 AM IST

कितनी होती थी मुगल हरम में दासियों की कमाई

Kuldeep Panwar

मुगलों के हरम में बेहद घिनौने काम होने की जानकारी कई इतिहासकारों ने लिखी है. फिर भी हरम के बारे में जानने की दिलचस्पी सबको है.

मुगल हरम में बादशाह दूसरे राजाओं को हराने के बाद छीनकर लाई गईं रानियों या अन्य खूबसूरत स्त्रियों को अपनी बेगम या रखैल बनाकर रखते थे.

हर बादशाह के हरम में हजारों महिलाएं रखी जाती थीं. इतिहासकार अबुल फजल ने अकेले अकबर के हरम में ही 5,000 से ज्यादा महिलाएं होने की बात लिखी हैं.

मुगल बादशाहों को हरम के अंदर पल-पल की निगरानी करानी पड़ती थी. बादशाह के लिए यह जासूसी करने का काम दासियां करती थीं.

ये दासियां बादशाह की बेगमों और रखैलों के काम करने के साथ उनकी निगरानी करती थीं, जिसके बदले उन्हें मोटा वेतन दिया जाता था.

अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल ने राजकाज के बढ़िया वित्तीय डेटा तैयार किया था, जिससे इन दासियों के वेतन की भी जानकारी मिलती है.

इस डेटा के मुताबिक, दासियों में भी अनुभव और जिम्मेदारी के हिसाब से पद बांटे जाते थे और उसी हिसाब से उनका वेतन तय किया जाता था.

टोडरमल के डेटा के हिसाब से अकबर के समय सीनियर दासियों को हर महीने 1028 रुपये से 1610 रुपये तक का वेतन दिया जाता था.

इसी तरह जूनियर दासियों को भी हर महीने वेतन मिलता था. उन्हें 51 रुपये, 40 रुपये आदि वेतन उनकी जिम्मेदारी के हिसाब से दिए जाते थे.

यह रकम यदि आपको बेहद कम लग रही हो तो बता दें कि उस जमाने के हिसाब से यह रकम आज के लाखों रुपये के बराबर बैठती है.

अबुल फजल ने ही लिखा है कि 10 रुपये में 11.66 ग्राम सोना खरीदा जा सकता है. इस हिसाब से 40 रुपये पाने वाली दासी हर महीने 4 तोला सोना खरीद सकती थी.

आपको जानकर हैरानी होगी कि हरम की दासियां उन बेगमों या रखैलों से ज्यादा अमीर होती थीं, जिनकी देखभाल के लिए वे रखी जाती थीं.

दरअसल बेगमों और रखैलों को जेबखर्च नहीं मिलता था बल्कि उन्हें बादशाह खुश होकर इनाम में सोने के सिक्के या अन्य तोहफा देते थे, जिसे वे अपनी पसंद से खर्च करती थीं.

मुगल हरम की दासियों को बहुत ज्यादा अधिकार भी होते थे. बादशाह की विश्वासपात्र दासियां हरम के अंदर जूनियर कर्मचारियों को सजा भी दे सकती थीं और मर्दों की एंट्री बंद भी कर सकती थीं.