मुगल बादशाह अपने हरम में दुश्मन से लड़ाई में जीत के बाद पकड़ी गईं या दूसरे राजाओं से संधि में मिली हजारों महिलाओं को रखते थे.
मुगल बादशाह अकबर के हरम में तो 5,000 से ज्यादा औरतों की मौजूदगी तत्कालीन लेखक अबुल फजल ने भी अपनी किताबों में बताई है.
मुगल हरम की इन हजारों औरतों के बीच बादशाह की कृपा पाने की होड़ लगी रहती थीं ताकि उनकी गुजर-बसर अच्छे ढंग से हो सके.
हरम की औरतों में से जिन पर बादशाह की कृपा होती थी, उन्हें मासिक वेतन मिलता था, लेकिन बाकी को अपना खर्च खुद ही चलाना होता था.
ऐसी महिलाओं और उनकी दासियों को खर्च चलाने के लिए या तो प्रभावशाली रानियों के गुट में रहना पड़ता था या फिर उन्हें सेक्स वर्कर की तरह काम करना होता था.
शाहजहां की बेटी जहांआरा ने अपनी किताब में लिखा था कि ज्यादातर दासियां इनाम और बख्शीश पाने के लिए रानियों की खिदमत करती थीं.
जहांआरा ने हरम में कई गुट होने की बात लिखी है, जिनकी मुखिया प्रभावशाली रानियां होती थीं, जो अपनी छत्रछाया में आने वाली रानियों और दासियों को पैसे दिया करती थीं.
जिन महिलाओं को किसी गुट में जगह नहीं मिलती थी, उन्हें खर्च चलाने के लिए सेक्स वर्कर का काम करना होता था. इनके ग्राहक दरबार के बड़े सरदार होते थे.
शाहजहां के बेटे दारा शिकोह के दोस्त और इतिहासकार मनूची ने हरम की महिलाओं के इस घिनौने काम के बारे में अपनी किताबों में लिखा है.
मनूची का कहना है कि बादशाह दरबारियों को खास औरतें छोड़कर हरम की बाकी महिलाओं के साथ रात बिताने की इजाजत दिया करते थे.
मुगल हरम की शातिर महिलाएं ऐसे सरदारों-दरबारियों या व्यापारियों को लुभाकर उनके साथ सोने के बदले महंगे तोहफे और पैसा लेती थीं.
हरम की महिलाएं वेश्याओं के कोठों की तरह ही खुद को एक-दूसरे से ज्यादा सुंदर दिखाने और बादशाह या उनके दरबारियों को लुभाने में जुटी रहती थीं.
हरम की महिलाएं वेश्याओं के कोठों की तरह ही खुद को एक-दूसरे से ज्यादा सुंदर दिखाने और बादशाह या उनके दरबारियों को लुभाने में जुटी रहती थीं.
मनूची ने यह भी लिखा है कि मुगल बादशाह हरम की महिलाओं के जरिये कूटनीति भी साधते थे. महिलाओं को विदेशी व्यापारियों और मित्र राजाओं के पास रात गुजारने भेजा जाता था.
मनूची ने यह भी लिखा है कि मुगल बादशाह हरम की महिलाओं के जरिये कूटनीति भी साधते थे. महिलाओं को विदेशी व्यापारियों और मित्र राजाओं के पास रात गुजारने भेजा जाता था.