Nov 21, 2023, 03:38 PM IST

छत्रपति शिवाजी से प्यार करती थी ये मुगल राजकुमारी

DNA WEB DESK

छत्रपति शिवाजी और मुगलों के बीच की दुश्मनी की कहानी सभी को मालूम है. शिवाजी से बड़ा दुश्मन मुगल बादशाह औरंगजेब ने ताउम्र किसी को नहीं माना था.

छत्रपति शिवाजी ने भी आगरा के लाल किले में 12 मई, 1966 को भरे दरबार में औरंगजेब द्वारा किए अपमान को कभी नहीं भुलाया और मराठा साम्राज्य को मुगलों से भी बड़ा बना दिया.

हालात ये थे कि मुगल और मराठा, एक-दूसरे को देखते ही खून के प्यासे हो जाते थे. ऐसे दौर में क्या आप सोच सकते हैं कि कोई मुगल राजकुमारी अपने पिता के सबसे बड़े दुश्मन से प्यार कर सकती है.

मुगलों के सबसे बड़े दुश्मन छत्रपति शिवाजी को प्यार करने का साहस दिखाया था औरंगजेब की बेटी जैबु्न्निसा ने, जिन्होंने आगरा के दरबार में पहली बार शिवाजी को देखा और दिल दे बैठी.

जैबुन्निसा के दिल को जब शिवाजी भा गए थे तो वो 27 साल की थीं, जबकि शिवाजी 39 साल के थे. उम्र के अंतर के बावजूद 12 मई के दिन जैबुन्निसा महज शिवाजी को देखने के लिए ही दरबार पहुंची थी.

औरंगजेब के अपमान करने के बावजूद जैबुन्निसा ने ही उसे दोबारा शिवाजी को बुलाने के लिए तैयार किया था. हालांकि दोबारा शिवाजी ने औरंगजेब से 'जैसे को तैसा' वाला व्यवहार किया और उन्हें कैद कर लिया गया.

शिवाजी के मिठाई के टोकरे में छिपकर आगरा के किले से भागने की कहानी सब जानते हैं. औरंगजेब को शक था कि इसमें उनकी मदद जैबुन्निसा ने ही की थी.

शिवाजी और जैबुन्निसा में प्यार था या नहीं. इसे लेकर इतिहासकारों की राय अलग-अलग है. कुछ इसे कल्पना मानते हैं, लेकिन कृष्णराव अर्जुन केलुस्कर ने अपनी किताब 'द लाइफ ऑफ शिवाजी महाराज' में इसका जिक्र किया है.

केलुस्कर के मुताबिक, जैबुन्निसा के दिल में शिवाजी की निडरता और आचरण के कारण आकर्षण और सम्मान था. हालांकि इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब 'स्टडीज इन मुगल इंडिया' में इसे कल्पना बताया है.

हालांकि कुछ इतिहासकारों ने जैबुन्निसा का प्यार शिवाजी के बजाय बुंदेला राजा छत्रसाल को बताया है. यह भी लिखा गया है कि इस प्यार के कारण औरंगजेब ने जैबुन्निसा को 20 साल सलीमगढ़ किले में बंद रखा था, जहां उसकी मौत हो गई थी.

इतिहास औरंगजेब की सबसे बड़ी बेटी जैबुन्निसा को एक कवियत्री के तौर पर भी याद करता है, जो कृष्ण भक्त थी और 'मखफी' के नकली नाम से कविताएं लिखा करती थीं. 

DISCLAIMER: यह पूरी जानकारी मान्यताओं व प्रचलित कहानियों पर आधारित है. इसकी सत्यता की पुष्टि Dnaindia Hindi नहीं करता है.