हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा ठग, जिसने अंग्रेजों को बेच दिया था मुगलों का लाल किला
Kuldeep Panwar
'मैं किसी को लूटता नहीं हूं. लोग अपना पैसा देकर कहते हैं कि ले लीजिए, मैं ले लेता हूं' ये जवाब भारत ही नहीं दुनिया के सबसे बड़े ठगों में से एक का था.
वो ठग, जिसने मुगलों का ताजमहल तीन बार, लाल किला 2 बार और एक-एक बार राष्ट्रपति भवन व संसद भवन तक अंग्रेजों को बेच दिया था.
इतना ही नहीं राष्ट्रपति के फर्जी साइन से संसद भवन सारे सांसदों के सामने ही बेच दिया. आप यदि सोच रहे हैं कि ऐसा दिलेर ठग कौन सा था और क्या वो कभी पकड़ा गया था?
हम बात कर रहे हैं हिन्दुस्तान के सबसे बड़े ठग नटवरलाल की, जिसके नाम पर बॉलीवुड में फिल्म तक बनी थी, जिसमें नटवरलाल का रोल अमिताभ बच्चन ने किया था.
बिहार के सीवान जिले के बंगरा गांव में साल 1912 को जमींदार रघुनाथ प्रसाद के घर मिथिलेश कुमार श्रीवास्त का जन्म हुआ था, जो बाद में नटवरलाल के तौर पर मशहूर हुआ.
नटवरलाल की ठगी मैट्रिक क्लास में शुरू हुई, जब उसने अपने पड़ोसी के नकली हस्ताक्षर बनाकर बैंक से कई बार में 1,000 रुपये निकाले.
जमींदार पिता को पता लगा तो उन्होंने जमकर मारपीट की. इस पर मिथिलेश कलकत्ता भाग आया, जहां एक सेठ केशवराम ने उसे बेटे को पढ़ाने की नौकरी दी.
मिथिलेश ने सेठ से कॉमर्स ग्रेजुएशन की फीस उधार मांगी. सेठ के इंकार करने पर मिथिलेश ने रुई की गांठ खरीदने के नाम पर उससे 4.5 लाख रुपये ठग लिए.
यहीं से शुरू हुआ ठगी का सफर 8 राज्यों में 100 से ज्यादा मामलों तक चला. नटवरलाल 9 बार गिरफ्तार हुआ, लेकिन 8 बार जेल से फरार हो गया.
अकेले बिहार में ही उसके खिलाफ चल रहे मामलों में उसे 113 साल से ज्यादा की सजा सुनाई गई थी. लेकिन वह 20 साल ही जेल में रहा.
वकालत की डिग्री लेने वाले नटवरलाल ने राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री कार्यालयों के अफसरों से लेकर धीरू भाई अम्बानी से लेकर जमशेदजी टाटा जैसी हस्तियों तक को ठगा था.
नटवरलाल ने बिहार में उसके पड़ोस के गांव में आए राष्ट्रपति राजेंद्र सिंह के सामने हूबहू उन हस्ताक्षर कर उन्हें ही हैरान कर दिया था.
नटवरलाल ने राष्ट्रपति से कहा था कि एक मौका मिलने पर वह भारत का सारा विदेशी कर्ज चुकाकर उल्टा विदेशियों को उसका कर्जदार बना सकता है.
राजीव गांधी के नाम पर दिल्ली के घड़ीवाले को ठगा तो कभी वीपी सिंह, कभी यूपी के सीएम के नाम पर नटवरलाल ने लोगों से ठगी की.
आखिरी बार नटवरलाल 24 जून, 1996 को देखा गया, जब बुजुर्ग होने के कारण उसकी हेल्थ खराब होने पर उसे इलाज के लिए दिल्ली लाया गया.
कोर्ट के आदेश पर तीन पुलिसवालों द्वारा दिल्ली एम्स जाते समय दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरकर जब 84 साल का नटवरलाल गायब हुआ तो वह व्हीलचेयर का मोहताज था.
52 नकली नाम रखने वाले नटवरलाल ने मौत के मामले में भी ठगी की, उसके भाई ने 1996 में ही उसकी मौत होने का दावा किया था.
करीब 13 साल बाद 2009 में उसके वकील ने कोर्ट में उसके ऊपर चल रहे केस बंद करने की याचिका दाखिल की, जिसमें उसकी मौत 25 जुलाई, 2009 को होने का सर्टिफिकेट पेश किया गया.