भारत की राजधानी नई दिल्ली इस वक्त जी 20 सम्मेलन के मद्देनजर पूरी दुनिया का केंद्र बनी हुई है. इस बैठक में भाग लेने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक और सऊदी के प्रिंस सलमान तक भारत आ चुके हैं.
जी20 शिखर वार्ता के लिए प्रगति मैदान में बनाए गए आयोजन स्थल भारत मंडपम में विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों का आगमन हो गया है. भारत की जी20 के लिए अध्यक्षता की भूमिका सदस्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने में मददगार साबित होगी.
जी-20 की अध्यक्षता हर साल ट्रांसफर होती रहती है. जिस देश को अध्यक्षता सौंपी जाती है, वो ही अगले समिट का आयोजन करता है. एक साल तक जी-20 की कमान इंडोनेशिया के हाथ में थी और फिर भारत के पास आ गई और उसके बाद अब ये दूसरे देश के पास जाएगी.
जी-20 देशों में अब अगला नंबर ब्राजील का है. भारत यह अध्यक्षता ब्राजील को सौंप देंगा. ब्राजील के पास एक साल तक प्रेजिडेंसी रहेगी और अगले साल 12-14 जुलाई को ब्राजील में जी-20 समिट का आयोजन किया जाएगा.
जी20 में 19 देश- भारत, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं.
जी20 के सदस्य देश, दुनिया की 60% आबादी की नुमाइंदगी करते हैं. इन देशों का पूरी दुनिया की GDP में 85% और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75% हिस्सेदारी है.
जी-20 का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आपसी तालमेल बनाते हुए एक-दूसरे की आर्थिक, तकनीकी तरक्की में मदद करना, भविष्य के वित्तीय संकटों का आंकलन करना और जोखिमों को मिलकर कम करना और एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ढांचा तैयार करना है.