Jul 1, 2024, 10:16 PM IST

कौन थी वो तवायफ जिसके हुस्न का दीवाना था पूरा लाहौर

Rahish Khan

बॉलीवुड के मशूहर डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की हाल ही में एक वेब सीरीज आई थी 'हीरामंडी'.

यह हीरामंडी पाकिस्तान के लाहौर का वो इलाका था, जहां तवायफों का मुजरा लगता था.

भारत के विभाजन से हीरामंडी में तवायफों के फनकार देखने के लिए लखनऊ, हैदराबाद से भी नवाब जाते थे.

साल 1970 में मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर ख्वाजा मजहर अपनी फिल्म कासो के लिए एक अभिनेत्री तलाश रहे थे.

इसी तलाश में वह लाहौर की हीरामंडी पहुंच गए. वहां उनकी नजर नरगिस पर पड़ी, जो बला की खूबसूरत थी.

नरगिस को देखते ही मजहर ने उन्हें अपनी हीरोइन बनाने का फैसला कर लिया, लेकिन नरगिस को वहां से ले जाना उसके लिए आसान नहीं था.

नरगिस के खूबसूरती का पूरा लाहौर कायल था. दूर-दूर से लोग उनका फनकार देखने के लिए लोग Heeramandi आते थे.

मजहर ने हिम्मत करके नरगिस से बात की. उसने तुरंत हां कर दिया. नरगिस की यह कोई पहली फिल्म नहीं थी. 

इससे पहले भी वो कई फिल्में कर चुकी थीं. नरगिस ने साल 1964 में फिल्म 'इशरत' पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था.

कासो फिल्म की शूटिंग के दौरान मजहर को नरगिस से प्यार हो गया और शादी का प्रस्ताव रखा.

उस दौरान हीरामंडी में नियम था कि अगर कोई लड़का किसी लड़की को शादी करके ले जाएगा तो उसे उसकी उचित कीमत देनी पड़ती थी.

मजहर कीमत चुकाकर नरगिस को अपनी साथ ले गया. लेकिन नग्गों की मां को यह शादी पसंद नहीं थी.

कुछ दिन बाद मां ने अपनी बीमारी का बहाना करके नरगिस को वापस बुला लिया. नग्गो जब कोठे पर रहने लगी तो उसका मजहर से दिल हटने लगा.

एक दिन मजहर उसे लेने कोठे पर गया, उसने चलने के लिए कहा लेकिन नरगिस ने मना कर दिया. 

इससे नाराज मजहर ने पिस्टल निकाल नरगिस को गोली मार दी और उसकी वहीं मौत हो गई.