Aug 28, 2023, 09:47 AM IST

कौन थी वो महारानी जिससे कांपते थे अंग्रेज और मुगल

Kuldeep Panwar

भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव वेबसाइट पर गुमनाम नायकों में महारानी जिंद कौर का नाम दर्ज किया है.

क्या आप जानते हैं कि महारानी जिंद कौर कौन थीं, जिनका नाम सुनकर मुगल सेना ही नहीं अंग्रेजों को भी डर लगता था.

जिंद सिख साम्राज्य के पहले महाराजा रणजीत सिंह की सबसे छोटी पत्नी थीं, जिन्हें महारानी का दर्जा मिला था.

रणजीत सिंह की मौत के बाद सिख साम्राज्य जिंद कौर ने 5 साल के दलीप सिंह को गद्दी पर बैठाकर संभाला था. 

जिंद 1843 से 1846 तक सिख साम्राज्य की आखिरी रानी भी रही थीं, जिनके राज में चर्चित एंग्लो-सिख युद्ध हुए थे.

जिंद ने रणजीत सिंह की मौत के बाद सिख राज्य को हड़पने की अंग्रेजों की कोशिश का जवाब युद्ध से दिया था.

रानी जिंदां के नाम से मशहूर महारानी को अंग्रेज बागी रानी कहते थे, जबकि पूरा पंजाब 'माई (मां)' कहकर बुलाता था.

सिख महाराजा जल्दी-जल्दी बदले. जब दलीप सिंह महाराजा बने तो जिंद कौर के संरक्षक बनने पर सभी खिलाफ थे.

जिंद ने दो टूक अंदाज में अंग्रेजों को लाहौर से दूर रहने का हुक्म सुनाया. साथ ही वैरोवाल की संधि को खारिज कर दिया.

जिंद कौर ने मुगल बादशाह को भी पत्र में सिखों से दूर रहने को कहा, हालांकि मुगल साम्राज्य लगभग खत्म हो था.

पहले एंग्लो-सिख युद्ध में हार के बाद रानी का लाहौर के किले में कैद किया गया और हर तरह की यातना दी.

रानी ने आम जनता के नाम पत्र जारी किए, जिसके बाद उन्हें लाहौर से बाहर भेज दिया गया. 

रानी के कहने पर भाई महाराज सिंह, शेर सिंह अटारीवाला ने 1849 में द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध छेड़ा.

रानी के भाई कहकर बुलाने पर इस युद्ध में सिखों को अफगान राजा दोस्त मुहम्मद की सेना का भी साथ मिला.

कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह के ऐन मौके पर पीछे हटने के कारण सिख सेना को हार का सामना करना पड़ा.

कई पंजाबी इतिहासकार 1857 के बजाय इस विद्रोह को ही अंग्रेजों के खिलाफ स्वाधीनता की पहली लड़ाई मानते हैं.

महारानी ने चुनार जेल से भागकर नेपाल में शरण लेकर रिफ्यूजी क्वीन कहलाई और विद्रोह की तैयारी में जुट गईं.

1860 में अंग्रेजों ने बुजुर्ग रानी को नेपाल से दलीप सिंह के पास इंग्लैंड भेज दिया जहां 1963 में उनका निधन हो गया.

खौफजदा अंग्रेजों ने उन्हें पंजाब नहीं लाने दिया. दलीप सिंह ने नासिक में गोदावरी किनारे उनका अंतिम संस्कार किया था.