Sep 14, 2024, 11:03 PM IST

ब्राह्मण गोरी मेम, जिसके नाम पर है दिल्ली की ये मस्जिद

Kuldeep Panwar

दिल्ली की एक मस्जिद ऐसी भी है, जिसका नाम एक पंडित (ब्राह्मण) महिला के नाम पर रखा गया था और इसका अंग्रेजों से भी नाता है.

हम बात कर रहे हैं पुरानी दिल्ली के चावड़ी बाजार में हौज काजी चौक पर लाल ईंटों से बनी मुबारक बेगम मस्जिद की, जो आपने कई बार देखी होगी.

एक समय 'रंडी की मस्जिद' कहलाई ये मस्जिद ऐसी ब्राह्मण महिला से जुड़ी है, जो पुणे से आकर पहले अंग्रेज मेम बनी और फिर मुस्लिम बेगम.

 पुणे की चंपा ब्रिटिशडेविड ऑक्टरलोनी को भा गईं, जो उस समय मुगल बादशाह अकबर शाह द्वितीय के दरबार में  रेजिडेंट जनरल थे.

चंपा पहले मुसलमान बनीं और उन्हें बीबी महरातुन मुबारक-उन-निसा-बेगम नाम मिला, लेकिन लोग उन्हें मुबारक बेगम कहकर ही पुकारते थे.

डेविड ऑक्टरलोनी की पत्नी बनने पर 'जनरल बेगम' या 'लेडी ऑक्टरलोनी' के नाम से मशहूर हुईं चंपा को ब्रिटिश और मुगल खेमे पसंद नहीं करते थे.

'व्हाइट मुगल' कहलाने वाले ऑक्टरलोनी ने 1825 में मौत से पहले 1823 में अपनी बेगम को तोहफा देने के लिए मुबारक बेगम मस्जिद बनवाई थी.

ऑक्टरलोनी की मौत के बाद मुबारक बेगम ने एक मुगल सरदार से निकाह कर लिया,जो 1857 की क्रांति में बहादुर शाह जफर की तरफ से लड़े थे.

मुबारक बेगम की हवेली में मुगल काल का दिल्ली का आखिरी सबसे बड़ा मुशायरा हुआ था, जिसमें मिर्जा गालिब समेत 40 शायर शरीक हुए थे.

मुबारक मस्जिद दो मंजिला है, जिसकी पहली मंजिल पर नमाज का हॉल है. इसके तीन गुंबदों में से एक 200 साल के समय की मार से गिर चुका है.