Sep 14, 2024, 11:04 PM IST

दुर्योधन का दामाद था श्रीकृष्ण की मौत का कारण

Kuldeep Panwar

भगवान श्रीकृष्ण महाभारत में पांडवों की तरफ से अर्जुन के सारथी के तौर पर उतरे थे, लेकिन उनकी सेना कौरवों की तरफ से लड़ी थी.

श्रीकृष्ण का अधर्म पक्ष के तौर पर महाभारत युद्ध में उतर रहे कौरवों को अपनी पूरी सेना देने का खास कारण था, जो उनके बेटे से जुड़ा हुआ है.

श्रीकृष्ण का अधर्म पक्ष के तौर पर महाभारत युद्ध में उतर रहे कौरवों को अपनी पूरी सेना देने का खास कारण था, जो उनके बेटे से जुड़ा हुआ है.

जाम्बवती का बेटा साम्ब अपने पिता श्रीकृष्ण की तरह ही बलशाली-रूपवान था. दुर्योधन की बेटी लक्ष्मणा की सुंदरता की भी चर्चा हर तरफ थी. 

साम्ब और लक्ष्मणा ने हस्तिनापुर में कई बार एक-दूसरे को देखा था और दोनों एक-दूसरे को पसंद करते थे. 

दुर्योधन के लक्ष्मणा का स्वयंवर आयोजित करने पर वहां पहुंचे साम्ब ने उन्हें अपने साथ चलने को कहा. लक्ष्मणा उनके साथ चली आई थी.

साम्ब की इस हरकत से दुर्योधन बुरी तरह नाराज हो गए थे. दुर्योधन ने कर्ण जैसे वीरों के साथ कौरव सेना भेजकर उन्हें रास्ते में बंदी बना लिया.

साम्ब को बंदी बनाने की जानकारी मिलने पर उनके ताऊ बलराम हस्तिनापुर पहुंचे, जिनसे गदा युद्ध की शिक्षा लेने का कारण दुर्योधन उन्हें गुरू मानता था.

बलराम के कहने पर दुर्योधन ने साम्ब का विवाह लक्ष्मणा के साथ कर दिया. इसके चलते श्रीकृष्ण और दुर्योधन आपस में समधी बन गए.

साम्ब का ही एक मजाक बाद में पूरे यदुवंश के विनाश का कारण बना था, जिसके चलते खुद श्रीकृष्ण की भी तीर से मौत हुई थी.

महाभारत युद्ध के 36 साल बाद द्वारिका के पिंडारक क्षेत्र में विश्वामित्र, दुर्वासा, वशिष्ठ जैसे महर्षि पहुंचे हुए थे. यदुवंशियों ने उनसे मजाक करने की सोची.

सारण आदि यदुवंशी साम्ब को महिला के वस्त्र पहनाकर पेट पर मूसल बांधकर मुंह ढककर महर्षियों के पास ले गए और उसकी संतान के बारे में पूछा.

ऋषियों ने साम्ब को पहचानकर इस मजाक पर नाराज होते हुए क्रोध में श्राप दिया कि साम्ब के पेट से मूसल जन्म लेगा, जो यादव वंश का नाश करेगा.

महाभारत के मौसुल पर्व में बताया गया है कि साम्ब के पेट से सच में मूसल का जन्म हुआ, जिसे चूरा करने के बाद समुद्र में फेंक दिया गया.

मूसल का चूरा मछली के पेट में गया, जो किनारे पर आकर फंस गई और उसके शरीर से ऐरक घास पैदा होकर वहां फैल गई.

किसी बात पर आपस में झगड़ते यदुवंशी समुद्र किनारे पहुंच गए. वे डंडे जैसी दिखने वाली ऐरक घास को उखाड़कर एक-दूसरे को मारने लगे. 

यादवों के हाथ में आते ही ऐरक घास अचानक लोहे के मूसल में बदल जाती, जिसका एक वार लगते ही सामने वाला यादव मर जाता.

मछली के पेट का यह चूरा एक भील को भी मिला, जिसने उससे तीर बनाया. यह तीर पेड़ के नीचे आराम करते श्रीकृष्ण के पैर में लगा और उनकी मौत हो गई.

DISCLAIMER: यह पूरी जानकारी सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं व आस्थाओं पर आधारित है. इसकी सत्यता की पुष्टि DNA Hindi नहीं करता है.