Nov 19, 2024, 12:28 AM IST

वो तवायफ जिसके लिए दो 'पंडितों' ने कबूला था इस्लाम

Aditya Prakash

ये बात साल 1892 के हिंदूस्तान की है. इलाहाबाद के कोठे पर दलीपाबाई नाम की एक मशहूर तवायफ हुआ करती थी.

आगे चलकर दलीपाबाई की शादी सारंगी वादक मियां जान से हुई, शादी के उनके घर जद्दनबाई का जन्म हुआ.

जद्दनबाई भी बड़ी होकर रंगमंच और गायकी में अपना कदम रखा, और अपनी मां से भी बेहतरीन तवायफ का दर्जा हासिल कर लिया.

यूं तो दद्दन के कई प्रशंसक थे, लेकिन उनमें सबसे बड़े चाहने वाले थे पंडित नरोत्तमदास.

नरोत्तमदास ने जद्दनबाई से शादी करने के लिए इस्लाम कबूल लिया, और नजीर मोहम्मद बन गए.

इस शादी से दोनों को एक बेटा अख्तर हुसैन हुआ. शादी के कुछ सालों बाद ही नरोत्तमदास जद्दनबाई को छोड़कर चले गए.

इस घटना के कुछ साल बाद कोठे में ही हार्मोनियम बजाने वाले उस्ताद इरशाद मीर से जद्दनबाई की दूसरी शादी हुई.

इस शादी से जद्दनबाई दूसरी बार मां बनीं. इनके दूसरे बेटे का नाम अनवर हुसैन था. हालांकि उनकी दूसरी शादी भी लंबे समय तक नहीं चल सकी.

इरशाद मीर से तलाक के बाद जद्दन को पंडित मोहनबाबू त्यागी से इश्क हो गया. मोहनबाबू भी जद्दन के बहुत बड़े तलबगार थे.

मोहनबाबू ने जद्दनबाई से शादी की और इस्लाम अपनाकर अब्दुल रशीद बन गए.

इस शादी से वो एक बेटी की मां बनीं. उनकी ये बेटी कोई और नहीं बल्कि बॉलीबुड की मशहूर अदाकारा नरगिस थीं.  (Disclaimer: ये जद्दनबाई की असली तस्वीर है. बाकी के स्लाइड्स में AI निर्मित तस्वीरें हैं.)