कोहिनूर हीरा एक बेहद कीमती हीरा है और भारत का यह कीमती हीरा आज भी रानी विक्टोरिया के ताज में जड़ा हुआ है.
लेकिन इस कोहिनूर हीरे से जुड़ी एक और कहानी है जो 1812 में कश्मीर के सूबेदार अतामोहम्मद और अफगानिस्तान के शासक शाहशुजा की बेगम वफा बेगम से जुड़ी हुई है.
अतामोहम्मद ने शाहशुजा को बंदी बना लिया था. अपने पति शाहशुजा को बचाने के लिए वफा बेगम पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के पास पहुंची.
वफा बेगम ने राजा रणजीत सिंह से वादा किया कि अगर वह उनके पति को बचा लेंगे तो वह उन्हें कोहिनूर हीरा भेंट में देंगी.
इसके बाद महाराज ने शाहशुजा को आजाद कर लौहार वापस भेज अपना वादा पूरा किया.
इसके बाद वफा बेगम ने राजा रणजीत सिंह को कोहिनूर हीरा नहीं दिया.
महीनों तक हीरा न मिलने के बाद रणजीत सिंह लाहौर पहुंचे इसके बाद बेगम ने रणजीत सिंह को नकली हीरा सौंप दिया.
जैसे ही महाराजा रणजीत सिंह को यह पता चला की हीरा है तो, उन्होंने गुस्से में शाहशुजा की हवेली को घेर लिया.
शाहशुजा ने हीरा अपनी पगड़ी में छुपा लिया था. इसके बाद रणजीत सिंह ने पगड़ी बदल रस्म कराई और कोहिनूर हीरा हासिल कर लिया.