Aug 23, 2024, 10:58 PM IST
दिल्ली के बीचों-बीच बनी इस हवेली को देखते ही लोग क्यों कहते हैं 'गद्दार'
Rahish Khan
मुगल काल से लेकर अंग्रेजों तक दिल्ली कितनी बार उजड़ी और फिर बसी. इसके सीने में तमाम किस्से दफन हैं.
ऐसा ही एक किस्सा दगेबाजी और धोखे का है. जिसके निशान आज भी दिल्ली के कूचा घासीराम गली में मौजूद हैं.
हम बात कर रहे हैं भवानी शंकर खत्री की. जिसकी हवेली देखकर आज भी लोग 'गद्दार' और 'नमक हराम' कहते हैं.
19वीं सदी में भवानी खत्री इंदौर के महाराजा यशवंतराव होलकर का बफादार हुआ करता था. लेकिन दोनों की बिगड़ गई.
इसके बाद खत्री ने अंग्रेजों से हाथ मिला लिया. वह होलकर और मराठा सेना की सारी खुफिया जानकारियां अंग्रेजों को देने लगा.
1803 में मराठा योद्धा यशवंतराव होलकर और अंग्रेजी सेना के बीच पटपड़गंज इलाका में भीषण युद्ध हुआ था.
मराठों के साथ मुगल भी लड़े थे, लेकिन तीन दिन तक चली इस लड़ाई में होलकर की सेना को हार का सामना करना पड़ा.
भवानी शंकर खत्री ने इस लड़ाई में गद्दारी की थी, जिसकी वजह से मराठा युद्ध हार गए थे.
खत्री की वफादारी से खुश होकर अंग्रेजों ने उसे चांदनी चौक में एक हवेली तोहफे में दी थी. जिसमें वो अपने परिवार के साथ रहता था.
इसके बाद लोग इस खत्री को गद्दार और उसकी हवेली को 'नमक हराम की हवेली', जिसे आज भी इसी नाम से जानते हैं.
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