क्यों खास है अयोध्या का राम मंदिर, 10 बातें जान लीजिए
Abhishek Shukla
मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा. धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है.
मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट बिछाई गई है. इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है.
मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है.
मंदिर परिसर में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, फायर बिग्रेड और स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, जिससे बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे.
25 हजार क्षमता
वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी.
मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी.
मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है.
पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70 फीसदी क्षेत्र हमेशा हरा रहेगा.
अयोध्या में राम लला का मंदिर, मंदिरों का समायोजन होगा. मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा.
मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या की मूर्तियां होंगी.
दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है. वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है.