Jan 24, 2024, 09:02 AM IST

बिहार के जननायक कैसे बने कर्पूरी ठाकुर

Abhishek Shukla

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न मिलने जा रहा है.

कर्पूरी ठाकुर बिहार में दलित, पिछड़े वर्ग, अति पिछड़े वर्ग के सम्मान के लिए ्अंतिम सांस तक लड़ते रहे.

समाज के वंचित तबके को राजनीतिक हक दिलाने के लिए वह सड़कों पर उतरे.

वे जीवनभर गरीबों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे. उन्होंने पिछड़ों के आरक्षण के लिए जमीनी संघर्ष किया.

अपने कार्यकाल में कर्पूरी ठाकुर ने सन् 1978 में पिछड़े वर्ग को कुल 12 फीसदी आरक्षण दिया था.

उन्होंने पिछड़े वर्ग में कुल 79 जातियों को शामिल किया था.

वे ओजस्वी भाषण देते. वे नारे लगाते 'अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो, पग पग पर अड़ना सीखो,जीना है तो मरना सीखो.'

उनका कहना था, 'यदि जनता के अधिकार कुचले जायेंगे तो जनता आज न कल संसद के विशेषाधिकारों को चुनौती दे देगी.'

जनता प्रथम की नीति और समाजवादी दृष्टिकोण अपनाने की वजह से कर्पूरी ठाकुर को जननायक कहा जाता है.