Nov 2, 2023, 03:34 PM IST

पांडवों का क्यों हुआ था भगवान शिव से युद्ध

Kuldeep Panwar

महाभारत के युद्ध में पांडवों ने धर्म के मार्ग पर चलकर सत्य का साथ दिया था. इसके बावजूद धर्मराज युधिष्ठिर को छोड़कर किसी भी अन्य पांडव को अपने स्वजनों को मारने के कारण स्वर्ग में जगह नहीं मिली थी.

स्वर्ग में जगह नहीं मिलने पर क्या पांडव नर्क में चले गए थे या उनके साथ कुछ और हुआ था? इस सवाल का जवाब पांडवों को भगवान भोलेनाथ यानी शिव से मिले श्राप से जुड़ी हुई है, जिसकी कहानी भविष्य पुराण में मिलती है.

दरअसल महाभारत के युद्ध के बाद कौरव खेमे से जिंदा बच गए अश्वतथामा, कृत वर्मा और कृपाचार्य ने पांडवों के शिविर में घुसकर पांडव पुत्रों की शिव अस्त्र से सोते समय हत्या कर दी थी.

मंत्रपूरित पांडव शिविर में कौरव सेना के ये तीनों योद्धा प्रवेश नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने भगवान शिव की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया था और तब उन्हें शिविर में प्रवेश मिला था.

अपने पुत्रों की हत्या से आहत पांडवों ने इसके लिए भगवान शिव को जिम्मेदार माना था और वे उनसे युद्ध करने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंच गए थे.

पांडवों के हमला करने पर उनके सभी अस्त्र-शस्त्र उनसे छिनकर भगवान शिव के शरीर में समा गए. इससे भगवान शिव बेहद क्रोधित हो गए, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के उपासक होने के कारण पांडवों को नुकसान नहीं पहुंचाया.

पांडवों को नुकसान पहुंचाने के बजाय भगवान शिव ने उन्हें कलयुग में दोबारा पृथ्वी पर जन्म लेने का श्राप दिया. उन्होंने कहा कि कलियुग में जन्म लेने पर तुम्हे अपनी इस हरकत का दंड भुगतना होगा.

इसके बाद पांडवों को भगवान श्रीकृष्ण ने बताया था कि कलियुग में कौन सा पांडव भाई किस जगह जन्म लेगा और उसका क्या स्वरूप होगा.

श्रीकृष्ण ने बताया था कि ज्येष्ठ पांडव युधिष्ठिर कलियुग में वत्सराज नाम के राजा के पुत्र मलखान बनेंगे, जबकि भीम वनरस नाम के राज्य के राजा वीरण बनेंगे.

अपने सबसे प्रिय पांडव अर्जुन के लिए श्रीकृष्ण ने बताया कि वे कलियुग में परिलोक नाम के राजा के यहां पैदा होंगे और वे ब्रह्मानंद के नाम से प्रसिद्ध होंगे.

श्रीकृष्ण ने नकुल का जन्म कान्यकुब्ज के राजा रत्नभानु के यहां लक्षण नाम से और सहदेव का जन्म भीम सिंह नाम के राजा के घर देव सिंह के नाम से होने की बात बताई थी.

डिस्क्लेमर: यह पूरी जानकारी सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं व आस्थाओं पर आधारित है. इसकी सत्यता की पुष्टि Dnaindia Hindi नहीं करता है.