Jun 1, 2024, 10:45 PM IST
इलाहाबाद की इस तवायफ को क्यों कहते थे ढेला-पत्थर?
Smita Mugdha
तवायफों की रूप और कला के मुरीद होते थे और उन्हें एक से बढ़कर एक नामों से भी नवाजते थे.
मशहूर तवायफों को उनके नवाब और कद्रदान नाम और उपाधियां भी देते थें और उसी नाम से उन्हें जाना जाता था.
हालांकि, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ऐसी ही एक चर्चित तवायफ का नाम ढेला पड़ गया था.
ढेला नाम से मशहूर तवायफ का असली नाम गुलजारीबाई था और अपने नाम के मुताबिक ही बेहद कमसिन और सुंदर थीं.
एक बार इलाहाबाद में उनके कार्यक्रम को लेकर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई थी और दो गुटों के बीच ढेला-पत्थर चल गए.
इस घटना के बाद से ही उनका नाम ढेला से मशहूर हो गया, क्योंकि उनकी एक झलक के लिए ढेले-पत्थर चल जाते थे.
गुलजारीबाई एक बेहद गुणी कलाकार थीं और उनका गाना सुनने दूर-दराज से लोग पहुंचा करते थे.
ब्रिटिश हुकूमत के प्रभाव का असर तवायफों के कोठों पर भी पड़ा था और उनके पहनावे में बदलाव आया.
जैसे-जैसे वक्त बदला तवायफों के कार्यक्रम और रहन-सहन के तरीकों में भी काफी बदलाव आने लगा था.
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