Aug 16, 2024, 01:26 PM IST
तवायफों के कोठे इस समय होते थे गुलजार
Aman Maheshwari
तवायफों के कोठे पर अमीर और शौकीन लोग अय्याशी करने और मुजरा देखने के लिए पहुंचते थे. तपायफों के कोठों पर अक्सर महफिल लगती थीं.
तपायफों के कोठे हर समय गुलजार नहीं रहते थे. यहां पर शाम और देर रात ही महफिल जमती थी.
शाम के समय कोठों पर आने वालों के लिए खास इंतजाम किए जाते थे. महफिल को सजाया जाता था.
कोठे पर मेहमानों की अय्याशी के लिए खाने-पीने का इंतजाम किया जाता था. शौकीनों के लिए पान, हुक्का और मदिरा का इंतजाम होता था.
कोठे खूशबू से महकते रहें इसके लिए बेला और चमेली के फूलों होते थे. यह मेहमानों का मूड बनाने का काम करते थे.
इस बारे में प्रोफेसर नीलम सरन गौर ने अपनी किताब में जिक्र किया है. शौकीनों के लिए शराब भी होती थी.
कई ऐसे मौके भी होते थे जब कोठों पर शाम गुलजार नहीं होती थी. वैसे तो ऐसा बहुत कम ही होता था.
लेखिका सबा दीवान ने इस बारे में बताया है कि, रमजान के महीनों में महफिल नहीं सजती थी.
इसके अलावा कोठे के किसी सदस्य या कलाकार की मौत होने पर भी मुजरा नहीं होता था. किसी बड़ी हस्ती और नेता की मौत के दिन भी कोठे गुलजार नहीं होते थे.
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