Sep 2, 2024, 07:04 PM IST
भगवान से ब्याही गई देवदासियों को क्यों नहीं माना जाता था सुहागन?
Smita Mugdha
दक्षिण भारत और ओडिशा के मंदिरों में पुराने जमाने में देवदासी प्रथा होती थी.
बचपन में ही कुछ लड़कियों की शादी भगवान से कराकर उन्हें देवदासी बनाया जाता था.
देवदासियों का पूरा जीवन मंदिर में रहते हुए बीतता था और उन्हें भगवान की सेवा में समर्पित माना जाता था.
देवदासी मंदिर में आने वाले धनाढ्य लोगों के मनोरंजन की भी जिम्मेदारी होती थी और वह नृत्य-संगीत से उनका मनोरंजन करती थीं.
देवदासियों को मंदिर में भगवान के श्रृंगार, प्रसाद बनाने, सफाई की जिम्मेदारी होती थी, लेकिन कुछ कामों के लिए मनाही थी.
देवदासी मंदिर के अंदर होने वाले वैदिक अनुष्ठान और यज्ञ में शामिल होने की अनुमति नहीं थी.
इसी तरह से उन्हें देवी को सुहागन स्त्री के तौर पर न तो श्रृंगार चढ़ाने की अनुमति थी और न पूजा कर सकती थीं.
देवदासी भगवान के श्रृंगार का सामान बनाने का काम करती थीं लेकिन उन्हें कुमकुम-सिंदूर चढ़ाने की अनुमति नहीं थी.
देवदासी प्रथा पर आजादी के बाद रोक लगा दी गई और अब इसे पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है.
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