Oct 19, 2024, 03:04 PM IST
देवदासियों को देनी पड़ती थीं ये 5 कुर्बानी
Smita Mugdha
भारत में देवदासी प्रथा खास तौर पर दक्षिण भारत, ओडिशा और बंगाल में प्रचलित थी.
देवदासियों को मंदिर में आने वाले खास लोगों के लिए नृत्य और संगीत की प्रस्तुति देनी होती थी और उनका मनोरंजन करना होता था.
देवदासियों की जिंदगी कई तरह की मुश्किलों से भी भरी होती थी और उन्हें कई बड़े बलिदान देने होते थे.
देवदासियों का पूरा जीवन मंदिर में ही बीतता था और उनका अपना कोई घर-परिवार नहीं होता था.
कम उम्र से ही देवदासियों को रोज घंटों कथक, भरतनाट्यम समेत दूसरी नृत्य कलाओं का अभ्यास करना होता था.
देवदासियों को आम महिलाओं की तरह शादी करने का अधिकार नहीं था और वह बच्चों को भी जन्म नहीं दे सकती थीं.
देवदासियों के खाने-पीने से लेकर कपड़े तक दान में मंदिर के श्रद्धालु देते थे और उनकी अपनी संपत्ति नहीं होती थी.
देवदासियों को मंदिरों की साफ-सफाई और दूसरे काम करने होते थे, लेकिन इसके लिए वेतन नहीं मिलता था.
एक बार देवदासी बनने के बाद उन्हें अपने परिवार से भी मिलने की अनुमति नहीं होती थी.
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