मुंबई का ताज होटल हेरिटेज प्रॉपर्टी माना जाता है. पूरी दुनिया में अपने बेहतरीन आर्किटेक्चर के मशहूर ताज होटल की भारत के सभी होटलों में सबसे अनूठी पहचान है.
ऐतिहासिक गेटवे ऑफ इंडिया के सामने मौजूद ताज होटल के बनने की कहानी बड़ी अनूठी है. यह होटल टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने बनवाया था.
जमशेदजी टाटा ने एक जिद के कारण यह होटल बनवाया था. दरअसल ब्रिटेन में उन्हें वाटसन होटल में भारतीय होने के कारण नहीं रुकने दिया था. उस होटल में केवल गोरे लोग ठहर सकते थे.
जमशेदजी टाटा ने तब ऐसा होटल बनाने की घोषणा की, जिसमें सभी लोग ठहर सकेंगे. साथ ही वो होटल इतना सुंदर होगा कि हर कोई उसमें आकर रहना चाहेगा.
करीब 4 करोड़ रुपये की लागत से ताज होटल 1898 में बनना शुरू हुआ था. इसमें पहली बार 16 दिसंबर, 1903 को गेस्ट ठहरे थे. मुंबई में बिजली से जगमगाने वाली यह पहली बिल्डिंग थी.
ताज होटल का आज की तारीख में एक रात का सबसे कम किराया 22 हजार रुपये है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ताज होटल की शुरुआत के समय कमरे का किराया क्या था?
ताज होटल की शुरुआत के समय सिंगल रूम का किराया 10 रुपये था, जो उस समय बड़ी रकम होती थी. पंखे व अटेच्ड बाथरूम वाले कमरे का किराया 13 रुपये लिया जाता था.
जेआरडी टाटा ने अंग्रेजों को नीचा दिखाने के लिए अपने होटल में इंग्लैंड से बुलाए गए बटलर नौकरी पर रखे थे. होटल में अमेरिकी पंखे, तुर्की का बाथरूम और जर्मन लिफ्ट लगाई गई थी.
होटल के हर कमरे में बर्फ बनाने वाली मशीन (तब फ्रिज नहीं होते थे) और टेलीफोन लगाया गया था, जो तब भारत के किसी होटल में नहीं होता था.
ताज होटल को अपने समय का सबसे आधुनिक होटल बनाने के लिए जेआरडी टाटा ने मैकेनाइज्ड शू पॉलिश मशीन, मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री, सोडा मेकर मशीन और जनरेटर की भी व्यवस्था की थी.