Sep 11, 2024, 11:53 PM IST

मुगल बादशाह ताकत के लिए खाते थे ये खास जड़ी-बूटी

Kuldeep Panwar

मुगल तुर्की और फारसी सभ्यता लेकर भारत आए थे. इसलिए उनके दौर में इन सभ्यताओं का मिश्रण भारतीय संस्कृति में मिल गया था.

मुगलों का यह मिश्रण आयुर्वेद में भी देखने को मिला, जिसके साथ मुगलों ने यूनानी हकीमी नुस्खों को मिलाने का प्रयोग किया था.

मुगलों का यह प्रयोग खानपान में भी दिखा, जिसका जिक्र इटैलियन व्यापारी मनूची और डच व्यापारी फ्रांसिस्को पेलसर्ट ने किया है.

मुगल बादशाह जहांगीर के दौर में आए पेलसर्ट ने 'जहांगीर इंडिया' किताब में मुगल सल्तनत से जुड़ी बहुत सारी अनूठी बातें लिखी हैं.

डच व्यापारी मैनरिक ट्रैवल्स ऑफ फ्रे सेबेस्टियन मैनरिक ने भी शाहजहां के दौर के खानपान का जिक्र अपनी किताब में किया है.

सभी ने लिखा है कि बादशाह ताकतवर बने रहें, इसके लिए वे दिन में किस समय क्या चीज खाएंगे, इसका पूरा चार्ट हकीम बनाते थे.

हकीमों के चार्ट के आधार पर ही खानसामा शाही खाना तैयार करते थे, जिसमें बादशाह को ताकतवर बनाए रखने लायक गुण होते थे.

मुगल बादशाह खास प्रकार के पान का सेवन किया करते थे, जिसमें गुलकंद के साथ हरताल और वर्किया जैसी जड़ी बूटी होती थीं.

गंगा नदी के पानी में पके चावल के दाने चांदी का वर्क लगाकर परोसे जाते थे तो सोने की अशर्फी की भस्म को खाने में मिलाया जाता था.

बादशाह के शाही खाने से लेकर नाश्ते तक में काजू, बादाम, किशमिश, पिस्ता, लौंग और सौंफ का इस्तेमाल जमकर किया जाता था.

गोश्त के शौकीन कुछ मुगल बादशाहों के लिए जंगली खरगोश का मांस और काले हिरण की नाभि खास तरीके से पकाई जाती थी.

मुगल बादशाह के खानपान में खजूर एक अहम हिस्सा होती थी, जिसे भिगोकर खाने से हीमोग्लोबिन का स्तर सही बना रहता है.

मुगल बादशाहों के लिए अंजीर में पका हुआ खास केसरयुक्त दूध तैयार होता था. ये दोनों ही चीजें एनर्जी का पावर हाउस होती हैं.

मुगल बादशाह खासतौर पर अश्वगंधा, शतावरी और शिलाजीत जैसी जड़ियां इस्तेमाल करते थे, जो ताकत का भंडार कहलाती हैं.