Jun 3, 2024, 06:43 AM IST

मुगल हरम में रानियां इत्र इस काम के लिए करती थीं इस्तेमाल

Ritu Singh

अकबर के नवरत्नों में से एक अबुल फजल ने अपनी किताब आइने अकबरी में मुगल हरम में कई तरह के इत्र के प्रयोग का जिक्र किया है.

हरम की रानियां और दासी कई तरह के इत्र से स्नान करती थीं और उनके कमरे में इत्र की महक हमेशा कायम रहती थी.

मुगल इत्र के शौकीन थे और कई तरह के फूलों और फलों से इत्र तैयार होते थे. राजा कलाई पर, कान पर और गर्दन के पीछे इत्र लगाते थे.

जबकि मुगल रहम में इत्र से रानियां नहाती भी थीं और अपने कपड़ों के साथ कमरे में लगाती थीं.

हैदराबाद के निजाम जैस्मीन के इत्र का इस्तेमाल किया करते थे. चंदन, केसर और रूह खास जैसे कई और इत्र का भी जिक्र मिलता है.

वहीं, हरम में उद इत्र का यूज ज्यादा होता था. नूरजहां सबसे महंगे इत्र रूह-ए-गुलाब का इस्तेमाल किया करती थीं.

अवध के शासक गाजी-उद्दीन शाह ने अपने बेडरूम के पास इत्र के फव्वारे का निर्माण कराया था.

मुगलकाल में चमेली, गुलाब, बेला और गेंदे से बने इत्र के अलावा कई और चीजों से इत्र बनते थे.