जंगल में जानवरों के लिए न तो अस्पताल है और न ही डॉक्टर, फिर आखिर वे बीमार होने या चोट लगने में खुद का इलाज कैसे करते हैं?
अगर आपके मन में भी यह सवाल आता है तो आगे कि स्लाइड्स में हम आपको इसका जवाब देने की कोशिश करेंगे और बताएंगे कि जानवर खुद को कैसे ठीक करते हैं?
जानवरों के खुद का इलाज करने की प्रक्रिया को जूफार्माकोग्नोसी कहा जाता है. इसमें वे घावों को ठीक करने के लिए प्रकृति में पाए जाने वाले उपचारों का इस्तेमाल करते हैं.
आपने अपने आसपास कुत्तों को घास खाते हुए देखा होगा. पेट खराब होने पर कुत्ते ऐसा करते हैं और फिर उल्टी करके अपने खाने को बिना पचे बाहर निकाल देते हैं.
इंडोनेशिया में चेहरे पर घाव होने पर ओरंगउटान ने औषधीय पौधे से खुद का इलाज किया. अकर कुनिंग नाम के इस पौधे को पहले उसने चबाया फिर उसके रस को घाव पर लगाया और पत्तों को प्लास्टर की तरह इस्तेमाल किया. एक हफ्ते के अंदर उसका घाव ठीक हो गया.
रिसर्चर्स ने लोआंगो नेशनल पार्क में पाया कि कई चिम्पांजी हवा में कीड़ों को पकड़कर उसे होठों से मसलकर खुले घावों पर लगाते हैं. वे दूसरे चिंपाजी पर भी इसका इस्तेमाल करते पाए गए.
जूलॉजिस्ट शॉन सिगस्टेड ने उत्तरी न्यू मैक्सिको में गठिया के दर्द के इलाज के लिए काले भालू को एक पौधे के जड़ का इस्तेमाल करते हुए पाया.