किस Technique से बनी थी लोगों की जान खतरे में डालने वाली Covishied
Jaya Pandey
ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में यह स्वीकार कर दुनिया को चौंका दिया है कि कोविशील्ड वैक्सीन थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS का कारण बन सकती है.
कंपनी ने यह स्वीकारा है कि यह वैक्सीन खून का थक्का बनने का कारण बन सकती है, साथ ही प्लेटलेट्स काउंट घटने की बात भी स्वीकारी गई है.
क्या आपको मालूम है कि आखिर यह वैक्सीन बनी कैसे थी? इस वैक्सीन को बिलकुल अलग तकनीक से वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके तैयार किया गया था.
इस वैक्सीन में चिम्पैंजी के एडिनोवायरस ChAdOx1 को मोडिफाई करके बनाया गया था जो इंसानों की कोशिकाओं में कोविड 19 स्पाइक प्रोटीन को ले जाने में सक्षम हो सके.
कंपनी ने यह दावा किया था कि जिसे यह वैक्सीन दिया जा रहा है यह उसे संक्रमित नहीं करेगा लेकिन यह इम्यून सिस्टम को इतना मजबूत कर देगा कि शरीर खुद कोविड 19 वायरस से अपनी रक्षा कर सके.
इबोला वायरस के लिए वैक्सीन बनाने के लिए भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक कोविशील्ड वैक्सीन को कोविड 19 संक्रमण के खिलाफ 90 प्रतिशत तक कारगर माना गया था.
इस वैक्सीन को तैयार करने की पूरी टेक्निक को आप इस तस्वीर के माध्यम से भी समझ सकते हैं.
भारत में ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया था.