अयोध्या में बने राममंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी. याद रहे प्रभु श्रीराम का जीवन रिश्तों की मर्यादा का भी संदेश देता है.
प्राण प्रतिष्ठा
14 वर्ष के लिए भगवान राम ने वन में रहना स्वीकार किया. इसके पीछे पिता के वचन की रक्षा की भावना रही. यहां राम ने पुत्रधर्म का पालन किया.
राम वनगमन
रामचरितमानस में मां सीता ने भगवान राम के साथ वन में रहना तय कर लिया. यहां मां सीता पत्नीधर्म का पालन करती नजर आती हैं.
मां सीता का फैसला
दासी मंथरा के बहकावे में मां कैकेयी ने राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगा था. पर लक्ष्मण ने भी भइया-भाभी संग वन जाना तय किया.
लक्ष्मण का भाई प्रेम
मां कैकेयी ने अपने जिस पुत्र भरत को राजा बनाने के लिए राम को वन भेजा, उसी भरत ने भइया राम की चरणपादुका राजगद्दी पर रख राज्य की देखभाल की.
भरत का समर्पण
भगवान राम, लक्ष्मण और सीता के वन जाने के बाद लक्ष्मण की भार्या उर्मिला ने माता कौशल्या का पूरा ध्यान रखा. उन्होंने पति का मान और अपना दायित्व निभाया.
उर्मिला का त्याग
भगवान श्रीराम ने सुग्रीव के साथ मित्रता धर्म निभाते हुए उसके बड़े भाई बाली का वध किया और सुग्रीव को उसका राजपाट वापस दिलाया.
मित्रता धर्म
वन में रहते हुए भगवान श्रीराम ने जो नियमित और संयमित जीवनचर्या अपनाई, उसे अनुशासन का श्रेष्ठ उदहरण बताया जाता है.
अनुशासन
लंका में कैद मां सीता को छुड़ाने के लिए भगवान राम ने वानर सेना तैयार की थी. इस सेना का नेतृत्व वानर कर रहे थे. ये सभी वानर प्रभु राम के प्रेम में डूबे थे.